होली जितने ज्यादा रंग से खेली जाती है, जीवन में उतनी ही खुशियां बढ़ती हैं। होली में लोग सूखे को गीले दोनों ही रंगों से खेलते हैं। खास बात ये है कि इस दिन लोग सफेद रंग के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। ये एक ट्रेंड बन चुका है आईये आपको बताते हैं ऐसा क्यों हैं।
- होली के दिन महिलाएं और पुरुष दोनों ही सफेद रंग का कुर्ता पहनना ज्यादा पसंद करते हैं। होली से पहले ही बाजार में सफेद कुर्तों की मांग भी काफी बढ़ जाती है। महिलाएं सफेद कुर्ते के से साथ सफेद दुपट्टा लेना पसंद करती है। वहीं कई महिलाएं कलर वाले दुपट्टा लेती हैं।
- होली एक ऐसा त्योहार है, जिसमे लोग सभी गिले-शिकवे भूलकर आपस में गले मिलते हैं। वहीं सफेद रंग शांति का प्रतीक है। जो लोगों में भाईचारा और मानवता को दर्शाता है। यही वजह है कि लोग सफेद कपड़े पहनना पसंद करते हैं।
- सफेद रंग के कपड़ों पर जब अन्य रंग पड़ता है तो वो उभरकर आता है। जो दिखने में भी अच्छे लगते है।
- होली के दिन सफेद कुर्ते पर गुलाल का रंग अच्छे से दिखता है। ऐसा लगता है कि एक सफेद कुर्ते पर अलग-अलग रंगों से कोई कलाकारी की गई है।
- सफेद रंग के कपड़ों में अगर होली खेली गई होती है तो इसकी तस्वीरें भी अच्छी और कलरफुल आती हैं। जो बाद में देखने में काफी अच्छी लगती हैं।
- शास्त्रों में होली को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना गया है। दो दिन तक होली का पर्व मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होती है और दूसरे दिन रंग खेला जाता है।
- कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझता था और वो अपने पुत्र प्रहलाद की विष्णु भक्ति से खुश नहीं था। एक दिन उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को लेकर शैय्या पर बैठ जाये। होलिका को वरदान मिला था कि अग्नि उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती है। प्रहलाद श्री हरि विष्णु का नाम लेते हुए अपनी बुआ की गोद में बैठे रहे और उन्हें कुछ भी नहीं हुआ। जबकि होलिका जलकर भस्म हो गई। इस दिन से ही बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होली मनाया जाने लगा है।
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