एक झोपड़ी में रहने वाला आदमी, जो गलियों में घूम-घूमकर बादाम बेचता था, आज एक पक्के मकान में रहता है और देशभर में पहचाना जाता है। लेकिन उसकी ये कामयाबी जितनी तेज आई, उतनी ही चौंकाने वाली सच्चाई के साथ आई। ‘कच्चा बादाम’ गाकर रातोंरात इंटरनेट सेंसेशन बने भुबन बद्याकर की जिंदगी में जो बदलाव आया, वह जितना प्रेरणादायक है, उतना ही भावुक भी। एक गाना जिसने उन्हें पहचान दिलाई, उसी गाने के अधिकार अब उनके पास नहीं हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि अपने ही गाने से दूर हो गए भुबन? जानिए इस कहानी के पीछे छिपा सस्पेंस और संघर्ष की अनसुनी कहानी।
झोपड़ी से पक्के घर तक पहुंचा सफर, लेकिन कीमत चुकानी पड़ी पहचान की
भुबन बद्याकर को आज सब जानते हैं, लेकिन उनका ये सफर आसान नहीं था। पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव में रहने वाले भुबन बादाम बेचने का काम करते थे। उन्होंने बताया कि जब वह सड़कों पर बादाम बेचते थे, तो मोबाइल फोन चोरी हो जाया करता था। इसी तजुर्बे से जन्मा गाना ‘कच्चा बादाम’, जिसे उन्होंने खुद गाया और गांव के किसी स्थानीय युवक ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। देखते ही देखते यह गाना इतना वायरल हो गया कि भुबन देशभर में मशहूर हो गए। वायरल होने के बाद सबसे पहला बदलाव उनके घर में आया — झोपड़ी की जगह अब उनके पास एक पक्का मकान है। भुबन ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब यह मेरा घर है, पहले बस छप्पर था।”
कमाई मिली, पर ‘कच्चा बादाम’ का कॉपीराइट नहीं रहा साथ
इतनी लोकप्रियता के बावजूद भुबन को वह अधिकार नहीं मिले, जिसके वे हकदार थे। उन्होंने बताया कि उन्हें मुंबई बुलाया गया, जहां कुछ लोगों ने उन्हें सपने दिखाए, और पेपर साइन करवा लिए। इसके बदले में उन्हें 60-70 हजार रुपये दिए गए। बाद में कोलकाता में एक अधिकारी ने उन्हें एक लाख रुपये और एक गिफ्ट दिया। लेकिन सच्चाई ये रही कि इन सौदों के बाद उनके गाने का कॉपीराइट उनसे छीन लिया गया। आज वह उस धुन के मालिक नहीं हैं, जो उन्हें मशहूर बना गई। भुबन कहते हैं, “अब गाना मेरा नहीं रहा, लेकिन आवाज तो मेरी ही है। लोग आज भी मुझे सुनना चाहते हैं, और यही मेरे लिए सबसे बड़ी बात है।”
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