अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप की विनाशकारी चपेट में आ गया है, जिसने देखते ही देखते कई ज़िंदगियों को खत्म कर दिया। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अब तक इस त्रासदी में 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि कई इलाके पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गए। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में पश्चिमी अफगानिस्तान का हेरात प्रांत शामिल है, जहां कई गांवों का अस्तित्व ही मिट गया।
हर तरफ चीख-पुकार, बचा कुछ नहीं — सिर्फ़ खामोशी और मलबा
मौके पर राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहे हैं, लेकिन दुर्गम इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय प्रशासन, सेना और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां प्रभावित क्षेत्रों में मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटी हैं। कई जगहों पर मलबा हटाने के लिए मशीनरी की कमी और संचार व्यवस्था ठप होने के कारण राहत कार्यों में बाधा आ रही है। अफगानिस्तान पहले ही मानवीय संकट से जूझ रहा है, ऐसे में यह प्राकृतिक आपदा हालात को और गंभीर बना रही है।
रात में घर से भागते लोग, माओं की गोद से छूटते बच्चे
भूकंप के झटके इतने तेज़ थे कि लोग रात के अंधेरे में अपने घरों से बाहर भागे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सब कुछ कुछ ही पलों में खत्म हो गया — इमारतें धराशायी हो गईं, सड़कें टूट गईं और हर तरफ चीख-पुकार मच गई। सरकार ने आपातकाल घोषित करते हुए अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद के झटके) आने की आशंका अब भी बनी हुई है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। अफगानिस्तान के लोग इस वक्त राहत, सहारे और एकजुटता की सबसे बड़ी ज़रूरत महसूस कर रहे हैं।