यूपी के इस मंदिर में की जाती है कुत्ते की पूजा, दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं लोग

दिवाली ,होली, नवरात्रि कुत्ते के सम्मान में अन्य हिंदू त्योहारों के दौरान सबसे जगमगाती है। यहां पर उत्तर प्रदेश के ही नहीं बल्कि दिल्ली ,हरियाणा, राजस्थान के लोग भी दर्शन करने के लिए आते हैं।

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UP News: उत्तर प्रदेश में अलग-अलग शहरों में अनेको धार्मिक स्थल हैं जहां पर पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वहीं राष्ट्रीय राजधानी से 60 किमी दूर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद शहर में एक अनोखा मंदिर है जहां पर किसी संत महात्मा की नहीं बल्कि कुत्ते की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं। पूरी जगह दिवाली ,होली, नवरात्रि कुत्ते के सम्मान में अन्य हिंदू त्योहारों के दौरान सबसे जगमगाती है। यहां पर उत्तर प्रदेश के ही नहीं बल्कि दिल्ली ,हरियाणा, राजस्थान के लोग भी दर्शन करने के लिए आते हैं।

जाने कुत्ते के मंदिर की कहानी

आपको बता दे कुत्ते के मंदिर के पीछे की एक बहुत पुरानी कहानी है जिसे मंदिर की देखभाल कर रहे लक्ष्मण सैनी ने शेयर किया है। उन्होंने बताया कि एक पूजनीय धर्म गुरु बाबा लटूरिया की लगभग 100 साल पहले एक कुत्ते के साथ गहरी दोस्ती थी। जब उनकी मौत हुई तो कुत्ते ने भी अपना दम तोड़ दिया। मंदिर के देखभाल करने वाले 50 वर्षी भक्त लक्ष्मण सैनी ने कहा,”बाबा और कुत्ता एक दूसरे से जुड़े हुए थे। जब बाबा की मृत्यु हुई, तो कुत्ता भी उनकी कब्र में कूद गया। हालांकि लोगों ने कुत्ते को बाहर निकाला, लेकिन कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई। वो अलगाव सहन नहीं कर सका। अपने बंधन का सम्मान करने के लिए, हमारे पूर्वजों ने बाबा की समाधि के बगल में कुत्ते के लिए एक विश्राम स्थल बनाया और एक मूर्ति स्थापित की गई।”

वफादारी और दोस्ती का प्रतीक है ये मंदिर

वही मंदिर के पुजारी ने आगे बताते हुए कहा कि यह मंदिर सिर्फ एक मंदिर ही नहीं बल्कि वफादारी और प्यार का प्रतीक भी है। कुत्ते की कब्र सिर्फ एक स्मारक ही नहीं प्रार्थना करने वाले लोगों का मानना है कि यह उन्हें नकारात्मक शक्तियों से भी बचाती है। लोग कुत्ते की मूर्ति पर काला धागा बांधने आते हैं कि उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाए।

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