न्यूज़क्लिक के 30 से ज्यादा ठिकानों पर दिल्ली पुलिस की रेड, UAPA के तहत केस दर्ज

204

चीन से फंडिंग मिलने के आरोपों के बीच न्यूज पोर्टल न्यूजक्लिक (NewsClick) से जुड़े के ठिकानों पर दिल्ली पुलिस ने 30 से अधिक ठिकानों की तलाशी ली है। साथ ही कई लोगों से पूछताछ भी चल रही है। एक साथ कई लोकेशन पर छापेमारी शुरू की गई। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की डिजिटल न्यूज वेबसाइट न्यूज क्लिक पर और उनके कुछ पत्रकारों के यहां ये रेड चल रही है। छापेमारी के समय पुलिस की स्पेशल सेल ने मोबाइल और लैपटॉप, कंप्यूटर सहित कई इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस बरामद किए हैं। UAPA के तहत पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।

सूत्रों की मानें तो मामला दर्ज करने के बाद 2 अक्टूबर को स्पेशल सेल के सीनियर अफसरों की बैठक हुई थी, जिसमें चर्चा हुई थी कि केस को आगे कैसे बढ़ाना चाहिए। जिसके बाद आज सुबह 6 बजे से छापेमारी की शुरुआत की हुई। दिल्ली, नोएडा, गजियाबाद, गुरुग्राम, मुंबई में लगभग 100 स्थानों पर स्पेशल सेल की टीम ने छापे मारने शुरू किए। सूत्रों के अनुसार जिन लोगों के यहां छापेमारी करनी थीं उनके नाम की लिस्ट पहले ही बना ली गई थी उसके बाद उनको A-B-C कैटगरी में बांटा गया। A कैटगरी में शामिल लोगों को कस्टडी में लिया गया है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की सभी रेंज की टीमों को इस छापेमारी में लगाया गया है। इसमें लगभग 500 पुलिसकर्मी शामिल हैं।

मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने हार्ड डिस्क डेटा भी ले लिया है। इससे पहले भी पुलिस न्यूजक्लिक की फंडिंग (Raid On NewsClick Journalist) को लेकर रेड मार चुकी है। इस मामले में ईडी ने मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था और न्यूज क्लिक की कुछ संपत्तियां भी संलग्न की थीं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारी पत्रकारों के ठिकानों पर छापेमारी कर तलाशी ले रहे है। हालंकि मामले में अब तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो कुछ पत्रकारों को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशनों में ले जाया गया है। इससे पहले ईडी न्यज पोर्टल के खिलाफ केस दर्ज कर उसकी फंडिंग की जांच कर चुकी है।

UAPA के तहत दिल्ली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है, जिसके तहत आज पत्रकारों की तलाशी भी ली गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इसके बारे में अधिक जानकारी पुलिस प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शेयर करेगी। न्यूयॉर्क टाइम्स की अगस्त महीने में एक जांच में आरोप लगाया गया था कि न्यूज़क्लिक उन संगठनों में से एक है, जिन्हें अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क ने फंडिंग की थी, जोकि चीन के प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दिया जाता है।