Wednesday, December 3, 2025

सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया इस्तीफा, कहा- ‘महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं..’

Swami Prasad Maurya: सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखते हुए कहा है कि महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई और चित्र नहीं है इसीलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से वह त्यागपत्र दे रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखते हुए आरोप लगाया है कि उनके साथ भेदभाव हुआ है। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने से सपा को बहुत बड़ा झटका लगा है।

अखिलेश यादव को स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखी चिट्ठी

इस्तीफा का ऐलान करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखी और कहा

“जब से मैं लगातार पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जन आधार बढ़ाने की कोशिश की सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था।”पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है”. हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी. भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि “सोशलिस्टो ने बाँधी गाँठ, पिछड़ा पावै सो में साठ”, शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा व मा. रामस्वरूप वर्मा जी ने कहा था “सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है”, इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही था नारा “85 बनाम 15 का। किंतु पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने एवं वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ो प्रत्याशीयों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक प्रत्याशीयों के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे, उसी का परिणाम था कि सपा के पास जहां मात्र 45 विधायक थे वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद यह संख्या 110 विधायकों की हो गई थी।”

इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद

वही आगे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि

“बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया इस सम्मान के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद…,पार्टी का जनाधार बढ़ाने का क्रम मैंने अपने तौर-तरीके से जारी रखा, इसी क्रम में मैंने आदिवासियों, दलितों व पिछड़ो को जो जाने-अनजाने भाजपा के मकड़जाल में फंसकर भाजपा मय हो गए थे उनके सम्मान व स्वाभिमान को जगाकर व सावधान कर वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के ही कुछ छुट भईये व कुछ बड़े नेता “मौर्य जी का निजी बयान है” कहकर इस धार को कुंठित करने की कोशिश की, मैंने अन्यथा नहीं लिया। मैंने ढोंग ढकोसला, पाखंड व आडंबर पर प्रहार किया तो भी यही लोग फिर इसी प्रकार की बात कहते नजर आये, हमें इसका भी मलाल नहीं, क्योंकि मैं तो भारतीय संविधान के निर्देश के क्रम में लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा कर लोगों को सपा से जोड़ने की अभियान में लगा रहा, यहाँ तक कि इसी अभियान के दौरान, मुझे गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने, जीभ काटने, नाक-कान काटने, हाथ काटने आदि-आदि लगभग दो दर्जन धमकियों व हत्या के लिए 51 करोड़, 51 लाख, 21 लाख, 11 लाख, 10 लाख आदि भिन्न-भिन्न रकम देने की सुपारी भी दी गई, अनेको बार जानलेवा हमले भी हुए, यह बात दीगर है कि प्रत्येक बार में बाल-बाल बचता चला गया। उल्टे सत्ताधारियों द्वारा मेरे खिलाफ अनेको एफआईआर भी दर्ज कराई गई किंतु अपनी सुरक्षा की बिना चिंता किये हुए में अपने अभियान में निरंतर चलता रहा…।”

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