राजस्थान इन दिनों लगातार हो रहे सड़क हादसों से दहल उठा है। पिछले एक महीने के भीतर राज्य के कई जिलों में ऐसे भीषण एक्सीडेंट हुए हैं, जिन्होंने जनजीवन को हिला कर रख दिया है। जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और आसपास के इलाकों में हुई दुर्घटनाओं में अब तक 50 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कहीं डंपर ने दर्जनों गाड़ियों को कुचल डाला तो कहीं बस आग की लपटों में समा गई। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इन हादसों की यह श्रृंखला क्यों नहीं थम रही — क्या यह सिर्फ संयोग है या सिस्टम की गंभीर चूक?
तेज रफ्तार, लापरवाही और जर्जर सड़कों का संगम
राजधानी जयपुर में हाल ही में हुए एक हादसे ने सभी को सन्न कर दिया, जब एक तेज रफ्तार डंपर ने करीब 17 वाहनों को टक्कर मार दी। हादसे में कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। कुछ घंटों के भीतर जोधपुर में भी एक मिनी बस सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गई, जिससे कई परिवारों के घरों में मातम छा गया। विशेषज्ञों के अनुसार, इन हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह है — सड़कों की खराब हालत, चालकों की थकान और रात के समय भारी वाहनों का बेखौफ संचालन।
राज्य सरकार की चिंता बढ़ी, राहत राशि का ऐलान
लगातार हो रही मौतों ने सरकार की नींद उड़ा दी है। प्रशासन की ओर से मृतकों के परिजनों के लिए आर्थिक सहायता और घायलों को बेहतर इलाज का आश्वासन दिया गया है। इसके बावजूद लोगों में गुस्सा और डर दोनों हैं। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ राहत राशि नहीं, बल्कि ट्रैफिक मैनेजमेंट, सड़क मरम्मत और वाहन निरीक्षण की सख्त व्यवस्था जरूरी है। अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो राजस्थान के हाइवे “मौत के रास्ते” के नाम से बदनाम हो सकते हैं। अब यह समय है कि ड्राइवरों से लेकर प्रशासन तक हर स्तर पर जिम्मेदारी तय की जाए, तभी इन हादसों की रफ्तार थम सकती है।
Read more-आँखों में आँसू, दिल में गर्व — भारत की छोरियों ने रचा इतिहास, वर्ल्ड कप आया घर!

