Thursday, December 4, 2025

Chandrayaan-3 : विक्रम-प्रज्ञान नहीं हुए एक्टिवेट तो ISRO ने कही चौंकाने वाली बात

Chandrayaan-3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने Chandrayaan-3 के लैंडर Vikram और रोवर प्रज्ञान के नींद से जगने को लेकर नई जानकारी दी है। इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर के कुछ सर्किट्स को सोने नहीं दिया गया था। वो जग रहे थे और अपना काम कर रहे थे। साथ ही उनसे संपर्क किया जा रहा है। मगर अभी तक उनसे कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आ रही है।

इसरो ने बताया है कि विक्रम और प्रज्ञान स्वतः ही जग जाएंगे। जिस समय चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाला गया था, उसी समय उनके कुछ सर्किट को जगते रहने का निर्देश दिया गया था। जिससे वो इसरो का 22 सितंबर 2023 को भेजा जाने वाला मैसेज प्राप्त कर सके। वहीं इसरो लगातार संपर्क स्थापित कर रहा है। मगर विक्रम या प्रज्ञान की ओर से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं आ रही है।

वहीं इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने कहा है कि परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में ऐसी तकनीक भेजी गई है, कि जैसे ही वो पूरी तरह से सूरज की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त कर लेंगे। वो ऑटोमैटिकली एक्टिव हो जाएंगे। हमें बस उन पर नजर रखनी पड़ेगी। हमे परेशान होने की इसलिए भी जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे पास अभी लगभग 13-14 दिन शेष है।

जब तक नहीं मिलेंगे संकेत, तब तक करते रहेंगे प्रयास

लगभग 13-14 दिन में किसी भी दिन विक्रम और प्रज्ञान से अच्छी खबर मिल सकती है। शिव शक्ति प्वाइंट पर अंधेरा होने से पहले कोई न कोई खुशखबरी आ सकती है। इससे पहले अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने कहा था कि इसरो चंद्रयान-3 को यानी लैंडर-रोवर को 23 सितंबर को जगाने की कोशिश करेगा। फिलहाल अभी लैंडर-रोवर एक्टिव नहीं हैं। यह कोशिश तब तक जारी रहेगी, जब तक वहां से कोई संकेत नहीं मिलता।

वहीं बता दें कि चांद पर अब सुबह हो चुकी है। मगर चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को अभी तक पूरी तरह से ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। चंद्रयान-3 से मिली जानकारी की इसरो वैज्ञानिक गहनता से जांच कर रहे हैं। साथ ही पिछले दस दिनों के डेटा का भी एनालिसिस किया जा रहा है। सक्रिय समय में प्रज्ञान रोवर ने 105 मीटर तक मूवमेंट किया है। तब चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके में तापमान माइनस 120 से माइनस 220 डिग्री सेल्सियस था। बता दें इससे यंत्रों का सर्किट बिगड़ जाता है।

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