जहां थाली नहीं, वहां खाना उड़ता है, अंतरिक्ष से शुभांशु का स्वाद भरा वीडियो

शुभांशु शुक्ला ने दिखाया कि अंतरिक्ष में कैसे खाया और पिया जाता है खाना-पानी, और कैसे बिना ग्रैविटी के भी सब कुछ आराम से पच जाता है।

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भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से एक मजेदार वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने दिखाया कि अंतरिक्ष में खाना खाना कैसा होता है। उन्होंने बताया कि वहां पर खाना न प्लेट में होता है, न थाली में, बल्कि खास पैकेट्स में आता है जो वेल्क्रो (चिपकने वाली पट्टी) से दीवारों या टेबल जैसी सतहों से चिपकाया जाता है। वरना खाना हवा में उड़ता रहता है! खाना खाते समय बेहद सावधानी रखनी पड़ती है, क्योंकि अगर एक कौर भी छूट गया तो वह स्टेशन के किसी कोने में जाकर फंस सकता है।

पानी पीना? स्ट्रॉ से ही मुमकिन है!

शुभांशु ने यह भी बताया कि पानी पीना भी एक चुनौती है। यहां पानी की बोतल खोलो और पानी बाहर नहीं गिरेगा – बल्कि गोल-गोल बबल्स बनाकर हवा में तैरने लगेगा! इसलिए पानी खास पॉकेट्स में आता है और स्ट्रॉ से चूसा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि वहां की टीम हर चीज़ को इस तरह डिज़ाइन करती है कि वह उड़ न जाए, इसलिए हर सामान को किसी न किसी सतह से चिपकाया जाता है। यही कारण है कि खाना, पानी, या कोई भी उपकरण कभी भी खुला नहीं छोड़ा जाता।

क्या बिना गुरुत्वाकर्षण के खाना पचता है? हां, और कैसे!

वीडियो में शुभांशु ने एक रोचक वैज्ञानिक तथ्य भी साझा किया – अंतरिक्ष में खाना पचाने के लिए गुरुत्वाकर्षण की ज़रूरत नहीं होती। यह काम हमारे शरीर में एक प्राकृतिक प्रक्रिया ‘पेरिस्टालसिस’ से होता है, जिसमें मांसपेशियाँ लहरों जैसी गति से भोजन को पेट और आंतों तक पहुंचाती हैं। उन्होंने कहा कि जब तक खाना निगला जाता है, उसके बाद शरीर अपना काम वैसे ही करता है जैसे पृथ्वी पर करता है। यानी अंतरिक्ष में खाना खाओ, मज़े से पचाओ – बस उसे पकड़कर मुंह तक लाने की मेहनत ज़्यादा है।

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