उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के देवनंदनी अस्पताल में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने डॉक्टरों को भी चौंका दिया। बुलंदशहर निवासी 40 वर्षीय सचिन नामक युवक को उसके परिवार ने नशे की लत के चलते नशा मुक्ति केन्द्र में भर्ती कराया था। वहां अकेलेपन, गुस्से और मानसिक तनाव के चलते युवक ने खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। उसकी हालत तब और बिगड़ी जब उसे तेज पेट दर्द की शिकायत हुई और परिवार वालों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया।
ऑपरेशन में निकले 29 चम्मच, 19 टूथब्रश और 2 पेन
जब सचिन की जांच की गई, तो डॉक्टरों को उसके पेट में धातु जैसी वस्तुएं दिखाई दीं। सर्जरी करने पर डॉक्टर भी हैरान रह गए जब उसके पेट से 29 स्टील की चम्मच, 19 टूथब्रश और दो पेन निकले। यह सभी चीजें उसने नशा मुक्ति केन्द्र में अपने गुस्से और मानसिक अस्थिरता की वजह से निगल ली थीं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते इलाज नहीं होता, तो ये वस्तुएं उसके पाचन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती थीं।
मानसिक स्वास्थ्य और देखभाल की सख्त ज़रूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि नशे की लत से उबरने वाले मरीजों के लिए केवल शारीरिक इलाज काफी नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। सचिन के मामले ने यह साबित कर दिया है कि नशा मुक्ति केन्द्रों में मानसिक समर्थन और निगरानी की कितनी आवश्यकता होती है। डॉक्टरों ने अब उसकी मानसिक काउंसलिंग शुरू कर दी है और परिवार को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है। इस घटना ने सभी को चेताया है कि मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकती है।