Kinnar Marriage: किन्नरों को शुभ कार्यों में आशीर्वाद देते हुए देखा जाता है। किन्नर शादी विवाह मुंडन आदमी आशीर्वाद देने के लिए आते हैं और नेंग ले जाते हैं। किन्नरो के भी कई सारे रीति रिवाज होते हैं। हर किसी के मन में ज्यादातर यही सवाल उठता है कि क्या किन्नरों की शादी होती है? लेकिन यह जानकर आपको हैरानी होगी की किन्नर एक रात के लिए ही सिर्फ विवाह करते हैं उसके अगले दिन ही वह मातम भी मानते हैं। यह विवाह एक रात के लिए होता है अगले दिन किन्नर विधवा बनाकर मातम मनाते हैं। आईए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है।
इस वजह से होती है एक रात के लिए शादी
किन्नर शादी करते हैं और केवल एक रात के लिए शादी करके दुल्हन बनते हैं। किन्नरों की शादी किसी इंसान से नहीं बल्कि उनके भगवान से होती है। किन्नरों के भगवान हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है। किन्नरों की शादी का जश्न जबरदस्त होता है। दरअसल जब महाभारत युद्ध होने वाला था तो पांडवों ने जीत के लिए अनुष्ठान किया था। इस अनुष्ठान में बलि दी जानी थी तब यह सवाल आया कि कौन अपनी बाली देगा। तब अर्जुन और नागकन्या उलूपी के बेटे इरावन ने अपनी बलि देने की बात कहीं। लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि वह बलि देने से पहले विवाह करना चाहते हैं। तब एक दिन के लिए श्री कृष्ण भगवान ने मोहिनी रूप रखकर इरावन से विवाह किया था। फिर अगले ही दिन इरावन ने अपनी बलि दे दी थी।
अगले ही दिन पति की मौत का मानते हैं मातम
किन्नर समाज एक दिन पहले शादी करता है बड़ी धूमधाम से फिर अगले दिन ही अपने पति की मौत का मातम मानता है। अगले दिन यह विधवा होकर अपने पति की मौत का मातम बनती है हर साल तमिलनाडु के कुवगाम में तमिल नव वर्ष की प्रथम पूर्णिया से कीनन की शादी समारोह शुरू होता है और 18 दिनों तक चलती है।
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