Is Tea Safe for Kids—यह सवाल लगभग हर घर में उठता है। कई परिवारों में बड़ी उम्र के लोग थोड़ी-थोड़ी चाय बच्चों को पिलाना शुरू कर देते हैं, यह मानकर कि इससे उन्हें ऊर्जा मिलेगी या ठंड के मौसम में आराम मिलेगा। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों की पाचन शक्ति और उनका शरीर वयस्कों से काफी अलग होता है। ऐसे में चाय का सेवन उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। पीडियाट्रिशियन के अनुसार बहुत छोटी उम्र के बच्चों को चाय देना कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
चाय देने की सही उम्र क्या होनी चाहिए?
डॉक्टर बताते हैं कि 0–2 साल की उम्र के बच्चों को चाय बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। इस उम्र में सिस्टम बेहद संवेदनशील होता है और कैफीन जैसी चीज़ें उनके शरीर में असंतुलन पैदा कर सकती हैं। आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए चाय का नियमित सेवन सलाह नहीं दिया जाता। यदि बच्चा बड़ा हो रहा है और माता-पिता चाहें कि वह थोड़ा स्वाद ले, तो 4–5 साल की उम्र के बाद भी सिर्फ बिना कैफीन वाली हर्बल चाय हल्की मात्रा में दी जा सकती है, वह भी डॉक्टर की सलाह लेकर।
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चों के लिए चाय को भोजन का हिस्सा या दैनिक आदत बनाना बिल्कुल गलत है, क्योंकि इससे आयरन और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होता है।
चाय बच्चों को क्या नुकसान पहुंचा सकती है?
चाय में मौजूद कैफीन बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर डाल सकता है। इससे उन्हें अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, पेट दर्द, लगातर कब्ज या भूख कम लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। चाय में मौजूद टैनिन शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण को कम करते हैं, जिससे धीरे-धीरे बच्चे कमजोर होने लगते हैं।
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि चाय पीने वाले बच्चों के दांत जल्दी पीले पड़ जाते हैं और उन्हें एसिडिटी या डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दूध, नारियल पानी, सूप और सादे पानी जैसी हेल्दी चीज़ें ही छोटे बच्चों के लिए बेहतर विकल्प हैं।
माता-पिता क्या करें? विशेषज्ञों की सलाह
यदि बच्चा अपने आसपास के लोगों को चाय पीते देख जिद करता है, तो माता-पिता उसे गुड़ वाला दूध, गर्म पानी या शहद-नींबू वाली हल्की हर्बल ड्रिंक (एक साल से कम उम्र में शहद प्रतिबंधित है) दे सकते हैं। इससे न केवल उसकी इच्छा शांत होगी, बल्कि उसे स्वस्थ विकल्प भी मिलेगा। माता-पिता को बच्चों में शुरू से ही हेल्दी खाने-पीने की आदत डालनी चाहिए, ताकि वे बड़े होकर भी कैफीन पर निर्भर न हों। चाय की जगह फलों का रस, नारियल पानी या घर का बना सूप बच्चों को अधिक फायदा पहुंचाता है।






