Friday, December 12, 2025

महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवराज पाटिल का निधन, 91 की उम्र में थमा सफर—देश की राजनीति को दिया अमिट योगदान

महाराष्ट्र की राजनीति का एक बड़ा स्तंभ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल चाकुरकर का शुक्रवार सुबह लातूर में निधन हो गया। 91 वर्षीय पाटिल पिछले काफी समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और घर पर ही उनका इलाज जारी था। सुबह करीब 6:30 बजे उन्होंने अपने लातूर स्थित निवास “देववर” में आखिरी सांस ली। उनके निधन के बाद राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। कांग्रेस पार्टी ने इस दुखद क्षति पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पाटिल का जाना भारतीय राजनीति के एक युग का अंत है।

पाटिल का लातूर जिले से गहरा लगाव था। लोकसभा का पहला चुनाव जीतने से लेकर गृह मंत्री बनने तक वह लगातार अपने क्षेत्र से जुड़े रहे। स्थानीय लोग उन्हें एक सरल, सुलभ और व्यवहारकुशल नेता के रूप में याद करते हैं।

लोकसभा स्पीकर से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल तक का सफर

शिवराज पाटिल चाकुरकर ने भारतीय राजनीति में वह ऊँचाइयाँ छुईं जिन तक बहुत कम लोग पहुंचते हैं। उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन और मुंबई यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की थी। उनकी राजनीतिक यात्रा 1980 में शुरू हुई जब वह पहली बार लातूर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।

1980 से 1999 तक लगातार सात बार लोकसभा सदस्य रहना उनकी लोकप्रियता और मजबूत पकड़ का प्रमाण था। इस दौरान उन्हें इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की कैबिनेट में अहम जिम्मेदारियां मिलीं। वह भारत की संवैधानिक प्रक्रियाओं को बारीकी से समझने वाले नेताओं में गिने जाते थे। 1991 से 1996 तक उन्होंने लोकसभा स्पीकर के रूप में संसद का संचालन किया। उनकी निष्पक्षता और संतुलित भूमिका की हमेशा सराहना की गई।

हार के बाद भी मिली बड़ी जिम्मेदारी, केंद्र ने जताया भरोसा

राजनीति में ऐसे कम ही उदाहरण मिलते हैं जब चुनाव हारने के बावजूद किसी नेता को देश का महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपा गया हो। 2004 के लोकसभा चुनाव में शिवराज पाटिल लातूर से हार गए थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए उन्हें केंद्र में गृह मंत्री बनाया।

गृह मंत्री के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों में भूमिका निभाई। हालांकि 2008 मुंबई आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनके इस कदम की पूरे देश में तारीफ हुई क्योंकि उन्होंने राजनीतिक परंपराओं से ऊपर उठकर नैतिकता को तरजीह दी।

क्षेत्र से जुड़ाव, देश-विदेश में बढ़ाया भारत का मान

शिवराज पाटिल का राजनीतिक सफर केवल संसद तक सीमित नहीं रहा। वह कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। विश्व स्तर पर भारत की लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को प्रस्तुत करने में उनकी भूमिका अहम रही।

लातूर के चाकुर क्षेत्र में उनका प्रभाव कई दशक तक रहा। विकास परियोजनाओं, शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने में उनका योगदान लोग आज भी याद करते हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए वे एक मार्गदर्शक की भूमिका में थे।

उनके निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर है। राजनीतिक दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उनके जीवन से जुड़े किस्से और उपलब्धियाँ भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा याद की जाएँगी।

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