Brahma Kamal: इस फूल को खिलता हुआ देख लिया तो बदल जाएगी आपकी किस्मत

वैसे तो कमल के फूल कई प्रकार के होते हैं, मगर सभी में खास होता होता है ब्रह्म कमल (Brahma Kamal), क्योंकि प्राचीन समय में यह फूल सिर्फ हिमालय में ही खिला करते थे। मगर अब धीरे-धीरे लोग इसे अपने घर के गार्डन में भी लगाने लगे हैं, इसलिए अब इसे देखने के लिए हिमालय जाने की आवश्यकता नहीं है।

415

वैसे तो कमल के फूल कई प्रकार के होते हैं, मगर सभी में खास होता होता है ब्रह्म कमल (Brahma Kamal), क्योंकि प्राचीन समय में यह फूल सिर्फ हिमालय में ही खिला करते थे। मगर अब धीरे-धीरे लोग इसे अपने घर के गार्डन में भी लगाने लगे हैं, इसलिए अब इसे देखने के लिए हिमालय जाने की आवश्यकता नहीं है। अक्सर ब्रह्म कमल का यह दुर्लभ फूल वर्ष में अगस्त और सितंबर के महीने में ही खिलते हैं, वह भी सिर्फ 4 से 5 घंटों के लिए, जिसके बाद इसके फूल स्वतः मुरझा जाते हैं। तो आइये इस फूल के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

जानते हैं ब्रह्मकमल के बारे में

Brahma Kamal Plant : घर में ब्रह्म कमल का पौधा कैसे उगाएं? जानिए इसके लाभ,  महत्व और कुछ ख़ास बातें

उत्तराखंड राज्य का ब्रह्म कमल के फूल को उत्तराखंड का राजकीय फूल (State flower of Uttarakhand) कहा जाता है। यहां इस फूल की खेती भी होती है। यह फूल विशेष रूप से पिण्डारी से लेकर छिफला, केदारनाथ, हेमकुंड, रूपकुंड और ब्रजगंगा जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे ब्रह्मकमल के अलावा दूध फूल, गलगल, बरगनडटोगेस के नाम से भी जाना जाता है। यह पुष्प भगवान शिव और विष्णु को बहुत ही प्रिय है। अगर आपके पास इस फूल की उपलब्धता है, तो शिवलिंग और विष्णु जी की प्रतिमा पर अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और लोगों की मनोकामना भी पूरी करते हैं।

पौराणिक कथा

which god loves brahma kamal

पौराणिक कथाओं के मुताबिक ब्रह्म कमल का पुष्प शिव जी को बहुत ही प्रिय है। इस फूल को केदारनाथ और बद्रीनाथ में विराजमान भगवान विष्णु और शिव की प्रतिमा में चढ़ाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा गया है कि जब भगवान नारायण हिमालय आए थे तो उन्होंने भगवान शिव को 1000 ब्रह्म कमल के पुष्प चढ़ा रहे थे, चढ़ाते-चढ़ाते एक फूल कम हो गए, जिसे पूरा करने के लिए विष्णु जी ने अपनी एक आँख शिव जी को पुष्प के रूप में अर्पित की थी। जब भगवान ने अपनी एक आंख शिव जी को समर्पित की तो भगवान शिव का नाम कमलेश्वर पड़ा और विष्णु जी का नाम कमल नयन पड़ा। माना जाता है इस कथा के बाद ही भगवान केदारनाथ को ब्रह्म कमल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

brahma kamal flower

ब्रह्मकमल के इस दुर्लभ पुष्प को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। यह फूल मां नंदा को भी बहुत ही प्रिय है और इस फूल को नंदा अष्टमी के दिन तोड़ने का विशेष महत्व है। इस पुष्प को लेकर यह भी कहा जाता है जो लोग इस फूल को खिलते देखते हैं उनके भाग्य खुल जाते हैं। इस फूल को सिर्फ भाग्यशाली मनुष्य ही खिलते हुए देख पाते हैं।