उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में एक छात्रा की बर्थडे पार्टी उस समय विवादों में घिर गई, जब एक कैफे में चल रहे निजी आयोजन के दौरान अचानक हंगामा शुरू हो गया। यह घटना 27 दिसंबर की बताई जा रही है, जब शहर के एक कैफे में दोस्तों और परिचितों के साथ जन्मदिन मनाया जा रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पार्टी सामान्य तरीके से चल रही थी, लेकिन इसी बीच कुछ लोग वहां पहुंचे और उन्होंने पार्टी पर आपत्ति जताते हुए शोर-शराबा शुरू कर दिया। आरोप है कि इन लोगों ने कैफे में मौजूद लोगों को डराया, माहौल बिगाड़ा और कार्यक्रम को जबरन रुकवा दिया। देखते ही देखते यह मामला इतना बढ़ गया कि कैफे मालिक को पुलिस की मदद लेनी पड़ी। घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी इस मामले की चर्चा शुरू हो गई और लोग सवाल उठाने लगे कि आखिर एक निजी बर्थडे पार्टी में इस तरह का उत्पात क्यों किया गया।
पुलिस की कार्रवाई: नामजद और अज्ञात लोगों पर FIR
इस पूरे मामले में बरेली पुलिस ने कैफे मालिक की तहरीर के आधार पर प्रेम नगर थाने में मुकदमा दर्ज किया है। सीओ सिटी आशुतोष शिवम ने जानकारी देते हुए बताया कि इस हंगामे के संबंध में ऋषभ ठाकुर और दीपक पाठक के अलावा 20 से 25 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई गंभीर धाराएं लगाई हैं, जिनमें धारा 333 के साथ-साथ 115(2), 352, 351(3), 324(4), 131 और 191(2) शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है और किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती। सीओ सिटी ने साफ कहा कि 27 दिसंबर को हुए हंगामे के तथ्यों के आधार पर ही मुकदमा दर्ज किया गया है और मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जा रही है।
बीएनएस की धारा 333 क्या कहती है और मामला क्यों गंभीर?
इस केस में सबसे ज्यादा चर्चा बीएनएस की धारा 333 को लेकर हो रही है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी को चोट पहुंचाने, हमला करने या गलत तरीके से रोकने की नीयत से किसी के घर या परिसर में घुसता है, तो यह एक गंभीर अपराध माना जाता है। इस अपराध में दोषी पाए जाने पर सात साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। कानूनी जानकारों का कहना है कि इस धारा का इस्तेमाल तभी किया जाता है जब मामला सिर्फ हंगामे तक सीमित न होकर डराने-धमकाने या हिंसा की तैयारी से जुड़ा हो। ऐसे में यह केस केवल एक बर्थडे पार्टी में व्यवधान का नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा बड़ा सवाल बन गया है। यही वजह है कि इस एफआईआर के बाद पुलिस की कार्रवाई पर पूरे जिले में चर्चा तेज हो गई है।
‘धर्म की रक्षा’ का दावा और पुलिस पर उठती आलोचना
इस मामले ने तब और तूल पकड़ लिया, जब नामजद आरोपी ऋषभ ठाकुर ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे अपने धर्म की रक्षा कर रहे थे और इसके बावजूद उन्हीं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया। उनके इस बयान के बाद पुलिस की भूमिका को लेकर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग पुलिस कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं, तो वहीं कुछ वर्गों का कहना है कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की है। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या निजी आयोजनों में दखल देना सही है और क्या धर्म के नाम पर इस तरह का व्यवहार जायज है। दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि कानून सभी के लिए समान है और किसी भी तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। फिलहाल मामला जांच के अधीन है, लेकिन बरेली की यह बर्थडे पार्टी अब एक बड़े सामाजिक और कानूनी विवाद का रूप ले चुकी है, जिस पर आने वाले दिनों में और खुलासे होने की संभावना है।
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