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बंगाल को बांग्लादेश न बनने दें…” मिथुन चक्रवर्ती के बयान से सियासत में भूचाल, कांग्रेस का तीखा वार

मिथुन चक्रवर्ती के “बंगाल को बांग्लादेश न बनने दें” बयान के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में बवाल मच गया है। बीजेपी, कांग्रेस और लेफ्ट के तीखे आरोप-प्रत्यारोप के बीच जानिए पूरे विवाद की पूरी कहानी

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मिथुन चक्रवर्ती

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक बयानबाज़ी तेज होती जा रही है। इसी माहौल में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का एक बयान चर्चा का केंद्र बन गया है। हुगली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल को “बांग्लादेश बनने से बचाना जरूरी है।” इस बयान के सामने आते ही सियासी माहौल गर्म हो गया। समर्थकों ने इसे राज्य की पहचान और भविष्य से जुड़ी चेतावनी बताया, जबकि विरोधी दलों ने इसे डर फैलाने वाला बयान करार दिया। बयान के बाद से ही बंगाल की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है और यह मुद्दा तेजी से चुनावी बहस का हिस्सा बनता जा रहा है।

कांग्रेस का पलटवार, भाषा पर उठाए सवाल

मिथुन चक्रवर्ती के बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस तरह के बयान समाज को बांटने का काम करते हैं। पार्टी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव से पहले जानबूझकर भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दों को हवा दे रही है। कांग्रेस का दावा है कि बंगाल की जनता विकास, रोजगार और महंगाई जैसे मुद्दों पर जवाब चाहती है, लेकिन ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि बंगाल की संस्कृति और पहचान को किसी बाहरी तुलना से जोड़ना गलत है। उनके मुताबिक ऐसे बयान लोकतांत्रिक राजनीति की मर्यादाओं के खिलाफ हैं और इससे सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंच सकता है।

लेफ्ट का आरोप, बीजेपी-टीएमसी पर साधा निशाना

मिथुन चक्रवर्ती के बयान पर वाम दलों ने भी तीखा रुख अपनाया है। सीपीआईएम नेताओं का कहना है कि बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच दिखावटी लड़ाई चल रही है, जबकि असली निशाना लेफ्ट पार्टियां हैं। वाम नेताओं ने आरोप लगाया कि दोनों दल चुनावी फायदा उठाने के लिए एक-दूसरे पर हमले करते हैं, लेकिन जनता के असली मुद्दों पर बात नहीं करते। लेफ्ट का कहना है कि इस तरह के बयान जनता का ध्यान बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सवालों से हटाने की कोशिश हैं। पार्टी नेताओं ने यह भी दावा किया कि बंगाल की जनता राजनीतिक नारेबाज़ी से ऊपर उठकर सच्चाई को समझ रही है और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।

चुनावी रणनीति या बड़ा संदेश?

मिथुन चक्रवर्ती ने अपने बयान को लेकर साफ किया कि उनका मकसद राज्य की जनता को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि वे लेफ्ट, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों से भी अपील कर रहे हैं कि वे मौजूदा सरकार के खिलाफ एकजुट होकर वोट करें। उनका कहना है कि बंगाल की स्थिति को लेकर वे चिंतित हैं और आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिससे हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, विपक्ष इसे ध्रुवीकरण की राजनीति बता रहा है। साफ है कि एक बयान ने बंगाल की राजनीति को नई दिशा में मोड़ दिया है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तेज होने वाला है।

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