Sunday, December 21, 2025

संजय कपूर केस में नया मोड़: वसीयत की जांच पर प्रिया कपूर को ऐतराज! क्या छुपा है कोई राज?

दिवंगत संजय कपूर की वसीयत को लेकर शुरू हुआ पारिवारिक विवाद अब एक बेहद संवेदनशील मोड़ पर पहुँच गया है। इस पूरे मामले में तब खलबली मच गई जब प्रिया कपूर ने संजय कपूर की वसीयत की फोरेंसिक जांच कराए जाने के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया। अदालती कार्यवाही के दौरान प्रिया के इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष का आरोप है कि वसीयत के साथ छेड़छाड़ की गई है, जबकि प्रिया कपूर का पक्ष इसे पूरी तरह से कानूनी और वैध बता रहा है। इस विरोध के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या कोर्ट वसीयत की वैज्ञानिक जांच का आदेश देगा या मामला इसी तरह उलझा रहेगा।

फोरेंसिक जांच पर आपत्ति

प्रिया कपूर के वकीलों ने अदालत में दलील दी है कि वसीयत की फोरेंसिक जांच कराने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह पहले से ही प्रमाणित दस्तावेजों के आधार पर तैयार की गई है। उनका तर्क है कि इस तरह की जांच केवल मामले को लंबा खींचने और परिवार की छवि को धूमिल करने की एक कोशिश है। हालांकि, विरोधी पक्ष का कहना है कि अगर वसीयत पूरी तरह सही है, तो प्रिया कपूर को इसकी निष्पक्ष जांच से परहेज क्यों है? कानून के जानकारों का मानना है कि फोरेंसिक जांच ही वह चाबी है जो इस करोड़ों की संपत्ति के मालिक का असली फैसला कर सकती है।

वसीयत के पीछे का रहस्य: जालसाजी या हकीकत?

संजय कपूर की मृत्यु के बाद सामने आई इस वसीयत में संपत्ति का जो बँवारा दिखाया गया है, उसने परिवार के अन्य सदस्यों को चौंका दिया है। विवाद की मुख्य जड़ यह है कि वसीयत में कुछ ऐसे हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान होने का दावा किया गया है, जिन्हें विपक्षी खेमा संदिग्ध मान रहा है। इसी संदेह को दूर करने के लिए फोरेंसिक लैब में लिखावट और स्याही की जांच की मांग की गई थी। प्रिया कपूर का विरोध इस मामले को और भी रहस्यमयी बना देता है, क्योंकि आमतौर पर पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया में वैज्ञानिक साक्ष्यों का स्वागत किया जाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस तकनीकी विरोध को कितनी गंभीरता से लेता है।

क्या होगा अदालत का अगला कदम?

इस हाई-प्रोफाइल मामले में अब गेंद पूरी तरह से अदालत के पाले में है। अगर न्यायाधीश फोरेंसिक जांच के आदेश देते हैं, तो यह प्रिया कपूर के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। दूसरी ओर, यदि उनकी आपत्ति स्वीकार कर ली जाती है, तो विरोधी पक्ष को अपनी बात साबित करने के लिए अन्य ठोस गवाहों और सबूतों पर निर्भर रहना होगा। कपूर परिवार की इस कानूनी लड़ाई ने न केवल रिश्तेदारों बल्कि आम जनता का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है। आने वाली सुनवाई में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह संपत्ति विवाद किसी समझौते पर खत्म होगा या फोरेंसिक रिपोर्ट के जरिए किसी बड़े राज का पर्दाफाश होगा।

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