एशिया कप 2025 के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर भारतीय क्रिकेट टीम ने एक और ऐतिहासिक जीत दर्ज की, लेकिन इस जीत की गूंज सिर्फ स्टेडियम तक सीमित नहीं रही। समाजवादी पार्टी ने इस जीत में ‘PDA’ यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वर्ग की भूमिका को लेकर एक नया राजनीतिक मोड़ जोड़ दिया है। पार्टी के आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से किए गए पोस्ट में कहा गया कि “कल के क्रिकेट मैच में भी PDA ने ही अपना परचम फहराया और देश की जीत की कहानी लिखी।”
सपा का तर्क: PDA काबिल है, लेकिन मौका नहीं मिलता
सपा की इस पोस्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय टीम में जातिगत भेदभाव नहीं होना चाहिए, लेकिन जब भाजपा सरकारें जाति के आधार पर अवसरों से वंचित करती हैं, तब ‘PDA’ की सफलता को रेखांकित करना ज़रूरी हो जाता है। पार्टी ने दावा किया कि PDA के लोग हर क्षेत्र में काबिल हैं, लेकिन उन्हें बराबरी का मौका नहीं मिलता। ऐसे में क्रिकेट जैसी उपलब्धियों में जब PDA वर्ग के खिलाड़ी चमकते हैं, तो उसे केवल खेल की जीत नहीं, सामाजिक जीत भी माना जाना चाहिए।
कल के क्रिकेट मैच में भी PDA ने ही अपना परचम फहराया और देश की जीत की कहानी लिखी।
कल एशिया कप के फाइनल मैच में पाकिस्तान को हराने में PDA का प्रमुख योगदान था, हालांकि खिलाड़ियों को जाति के बंधन में नहीं बांधा जा सकता लेकिन यही भाजपा जब जाति के आधार पर भेदभाव करती है तब इसका…
— Samajwadi Party Media Cell (@mediacellsp) September 29, 2025
अखिलेश यादव का संकेत: एकता या रणनीति?
इससे पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी एक पोस्ट के जरिए जीत की बधाई दी थी। उन्होंने लिखा, “एकता जीत की बुनियाद होती है,” जो सतही रूप से एक साधारण संदेश लगता है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इसमें भी ‘PDA’ की एकजुटता और योगदान को लेकर राजनीतिक संदेश छिपा हुआ था। सपा के इस दृष्टिकोण ने जहां अपने समर्थकों में उत्साह पैदा किया है, वहीं विरोधियों ने इसे ‘खेल में राजनीति’ बताकर आलोचना शुरू कर दी है।
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