Bahraich News: इस समय उत्तर प्रदेश में भेड़ियों का आतंक देखने को मिल रहा है। बहराइच और सीतापुर में भेड़िए बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। जिससे आम जनता ही नहीं सरकार भी परेशान हो गई है। बहराइच में आए दिन भेड़ियों के हो रहे हमले सरकार और वन विभाग के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भेड़ियों को पकड़ने के लिए सरकारी मशीनरी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है लेकिन अभी तक भेड़िए पकड़ में नहीं आ रहे हैं और ना ही हमले रुक रहे हैं। बहराइच आदमखोर भेड़ियों के बढ़ते हमलों के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि भेड़िया बदला लेने वाले जानवर होते हैं। हो सकता है इंसानों ने उनके बच्चों को नुकसान पहुंचा हो जिसके प्रतिशोध के रूप में यह हमले किए जा रहे हैं।
बदला जरूर लेता है भेड़िया
भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत अधिकारी और बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वन अधिकारी रह चुके ज्ञान प्रकाश सिंह अपने तजुर्बे के आधार पर बताते हैं कि, भेड़िया बदला जरूर लेता है और पूर्व में इंसानों द्वारा उनके बच्चों को किसी ने किसी तरह की हानि पहुंचाई गई होगी जिसका अब बदल ले रहे हैं। उन्होंने काफी पुरानी बात बताते हुए कहा कि,”20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ जिलों में सई नदी के कछार में भेड़ियों के हमलों में 50 से अधिक इंसानी बच्चों की मौत हुई थी। पड़ताल करने पर पता चला था कि कुछ बच्चों ने भेड़ियों की एक मांद में घुसकर उनके दो बच्चों को मार डाला था। भेड़िया बदला लेता है और इसीलिए उनके हमले में इंसानों के 50 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। जौनपुर प्रतापगढ़ में वीडियो के हमले की गहराई से जांच करने पर पता चला कि अपने बच्चों की मौत के बाद भेड़िए काफी उग्र हो गए थे।”
कहीं ये तो नहीं है असली वजह
सिंह ने आगे बताया कि,”वन विभाग के अभियान के दौरान कुछ भेड़िए भी पकड़े गए थे लेकिन आदमखोर जोड़ा पछता रहा और बदला लेने के मिशन में कामयाब रहा। आखिर में आदमखोर भेड़ियों चिन्हित हुए और दोनों को गोली मार दी गई जिसके बाद घटनाएं हनी बंद हो गई। बहराइच की महसी तहसील के गांव में हो रहे हम लोग का पैटर्न भी कुछ ऐसा ही लगता है।इसी साल जनवरी-फरवरी माह में बहराइच में भेड़ियों के दो बच्चे किसी ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए थे। तब उग्र हुए भेड़ियों ने हमले शुरू किए तो हमलावर भेड़ियों को पकड़कर 40-50 किलोमीटर दूर बहराइच के ही चकिया जंगल में छोड़ दिया गया। चकिया जंगल में भेड़ियों के लिए प्राकृतिक वास नहीं है। ज्यादा संभावना यही है कि यही भेड़िये चकिया से वापस घाघरा नदी के किनारे अपनी मांद के पास लौट आए हों और बदला लेने के लिए हमलों को अंजाम दे रहे हों।”