Wednesday, December 3, 2025

क्या Maithili Thakur लड़ेंगी चुनाव? पिता ने लालू यादव का नाम लेकर खोल दी 30 साल पुरानी कहानी

लोकगायिका मैथिली ठाकुर के बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरने की अटकलों के बीच एक बड़ा बयान सामने आया है। यह बयान किसी और का नहीं, बल्कि उनके पिता रमेश ठाकुर का है, जिन्होंने न सिर्फ चुनाव की संभावना पर हामी भरी, बल्कि बिहार की राजनीति को लेकर कई अहम बातें भी कह दीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्होंने इस मौके पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू यादव का नाम लेते हुए 90 के दशक की एक पुरानी कहानी साझा कर दी। उनका कहना है कि बिहार में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन लालू यादव के सत्ता में आने के बाद जातीय उन्माद फैल गया और ब्राह्मणों पर हमले शुरू हो गए।

लालू राज में हुआ था माहौल खराब, इसलिए छोड़ना पड़ा बिहार – रमेश ठाकुर

रमेश ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हम उस पहले बैच के पलायनकर्ता हैं जिन्होंने जातिगत हिंसा के चलते बिहार छोड़ा। 1995 में हम बाहर चले गए और तब से अब तक यहीं हैं।“ उन्होंने कहा कि लालू यादव के आने के बाद बिहार में ब्राह्मण समुदाय पर हमले तेज हो गए थे और माहौल ऐसा बना दिया गया कि शिक्षित, स्किल्ड लोग राज्य छोड़ने को मजबूर हो गए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उस दौर में जातिवाद चरम पर था और यह केवल एक समुदाय विशेष के लिए नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।

रमेश ठाकुर ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज जब एनडीए की सरकार है तो बिहार में बदलाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने मौजूदा शासन की तारीफ करते हुए कहा कि “अब चीजें पटरी पर लौट रही हैं, विकास हो रहा है, कानून-व्यवस्था में सुधार आया है और स्किल्ड लोगों को वापस लौटकर राज्य के लिए काम करना चाहिए।”

राजनीति में आने पर बेटी को समर्थन, लेकिन निर्णय उन्हीं पर छोड़ दिया

बेटी मैथिली ठाकुर के राजनीति में आने की संभावना पर रमेश ठाकुर ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर वो आए तो अच्छा ही है। बढ़िया है।” हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि अंतिम निर्णय मैथिली को ही लेना है। रमेश ठाकुर का मानना है कि अगर अच्छे लोग राजनीति में आएंगे तो व्यवस्था में सुधार होगा और राज्य का विकास होगा। मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता, उनकी छवि और युवा वर्ग में उनके प्रभाव को देखते हुए अगर वो राजनीति में आती हैं, तो यह कई समीकरण बदल सकता है।

फिलहाल मैथिली ठाकुर की ओर से इस विषय पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनके पिता का यह बयान संकेत जरूर देता है कि इस बार का विधानसभा चुनाव कई स्तरों पर दिलचस्प हो सकता है। खासकर तब, जब लोकगायिका की सादगी और सामाजिक जुड़ाव उन्हें एक मजबूत प्रत्याशी बना सकते हैं।

मैथिली ठाकुर के चुनाव लड़ने की खबर ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। वहीं, उनके पिता रमेश ठाकुर का लालू यादव के शासन पर सीधा हमला और अपने पलायन की कहानी साझा करना इस बात का संकेत है कि आगामी चुनाव केवल प्रचार और वादों तक सीमित नहीं रहने वाला, बल्कि यह 90 के दशक के उस राजनीतिक दौर की भी चर्चा कर सकता है जिसने आज के बिहार की नींव रखी। अब देखना यह होगा कि मैथिली ठाकुर खुद इस पर क्या निर्णय लेती हैं।

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