S Jaishankar: संसद का मानसून सत्र सोमवार को उस वक्त गरमा गया जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर उल्लंघन को लेकर सरकार का पक्ष रख रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा शांति की पहल की है, लेकिन दुश्मन की हरकतों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। जयशंकर ने दो टूक कहा, “शांति का रास्ता खुला है, लेकिन हमारी सेनाओं को पूरी छूट है कि जब भी सीमा पर कोई उकसावे वाली कार्रवाई हो, वे जवाब दें।” लेकिन विपक्षी दलों ने बीच-बीच में टोका-टोकी कर उनके बयान को बार-बार बाधित किया।
अमित शाह का तीखा प्रहार: “देश की सुरक्षा पर राजनीति मत कीजिए”
विपक्ष के इस रवैये से नाराज़ होकर गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए विपक्ष पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा, “जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो राजनीतिक मतभेद भुला देने चाहिए, लेकिन कुछ लोग शोर मचाकर सेना का मनोबल गिराना चाहते हैं।” अमित शाह ने विपक्ष को याद दिलाया कि यह वही सेना है जो सीमाओं पर दिन-रात डटी हुई है और संसद में उनके मुद्दे को गंभीरता से लेने के बजाय विपक्ष राजनीतिक स्कोरिंग कर रहा है। उनके जवाब के बाद सत्ता पक्ष के सांसदों ने मेज थपथपाकर समर्थन जताया।
सदन का माहौल गरमाया, विपक्ष पर हुआ तीखा हमला
जयशंकर और शाह की जोड़ी ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब केवल वार्ता की भाषा में बात नहीं करेगा, बल्कि जवाब भी उसी भाषा में देगा जो सामने वाले को समझ आए। इस दौरान विपक्ष के कई सदस्य विरोध में खड़े हो गए और नारेबाजी की, जिससे कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी। सरकार की ओर से यह संकेत भी दिया गया कि पाकिस्तान को चेतावनी भरे नोट के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी घेरा जाएगा। पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब सीमाओं की सुरक्षा पर सख्ती सर्वोपरि है।
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