उत्तर प्रदेश में उभरे ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर राजनीति गर्मा गई है। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अबू आजमी ने बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि यह विवाद असल में मुसलमानों को निशाना बनाने और उन्हें हाशिए पर धकेलने की एक सुनियोजित साजिश है। आजमी ने आरोप लगाया कि सरकार ने मुसलमानों को बर्बाद करने का बीड़ा उठा रखा है और कानून का इस्तेमाल केवल एकतरफा ढंग से किया जा रहा है।
धार्मिक नारों पर पक्षपात का आरोप
अबू आजमी ने अपने बयान में सवाल उठाया कि आखिर किसी व्यक्ति को ‘आई लव मोहम्मद’ कहने से क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने कहा, “हर नागरिक को अपने धर्म के प्रति प्रेम जताने का अधिकार है। अगर कोई ‘हर हर महादेव’ कहे तो उसे धार्मिक आस्था माना जाता है, लेकिन मुसलमान ‘आई लव मोहम्मद’ कहे तो उसे अपराध क्यों मान लिया जाता है? यह दोहरा मापदंड आखिर कब तक चलेगा?” आजमी ने इसे सीधे तौर पर भेदभावपूर्ण रवैया बताया और कहा कि इस तरह की सोच देश को बांटने का काम कर रही है।
अहमदनगर की घटना ने बढ़ाई नाराजगी
अबू आजमी ने अहमदनगर (अहिल्यानगर) की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वहां हाल ही में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे गए नारों को जमीन पर लिखकर रौंदा गया। जब मुसलमानों ने इसका विरोध किया तो उनके खिलाफ ही मुकदमे दर्ज कर दिए गए। उन्होंने सवाल किया कि अगर बहुसंख्यक समुदाय के लोग इसी तरह धार्मिक जुलूस या नारे लगाते हैं तो उसे परंपरा कहा जाता है, लेकिन मुसलमान वही करें तो उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई क्यों होती है?
उनके मुताबिक, यह साफ इशारा करता है कि प्रशासन और सरकार का रवैया मुसलमानों के प्रति कठोर और पक्षपातपूर्ण है।
सरकार पर सीधा निशाना
आजमी ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “आज देश में कानून नाम की कोई चीज नहीं बची है। सरकार मुसलमानों को हाशिए पर डालने और उन्हें कमजोर करने की योजना बना रही है। धार्मिक स्वतंत्रता सबको है, लेकिन अगर मुसलमान अपने धर्म से मोहब्बत जताता है तो उसे अपराध बताना लोकतंत्र के खिलाफ है।”
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की राजनीति सिर्फ एक समुदाय को निशाना बनाकर नफरत फैलाने का काम कर रही है।
विपक्ष को मिला नया मुद्दा
‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पहले से ही विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा हथियार बन चुका था। अबू आजमी के बयान के बाद यह मुद्दा और भी गरमा गया है। विपक्षी दल लगातार बीजेपी सरकार पर धार्मिक भेदभाव और असमानता का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि बीजेपी की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि “कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है, चाहे वह किसी भी धर्म से क्यों न जुड़ा हो।”
जनता की राय बंटी
इस पूरे विवाद पर जनता भी दो हिस्सों में बंटी हुई दिखाई देती है। एक वर्ग का मानना है कि धार्मिक नारों को लेकर विवाद खड़ा करने की बजाय लोगों को अपने-अपने धर्म के प्रति सम्मान दिखाने की आजादी होनी चाहिए। वहीं, दूसरा वर्ग मानता है कि इस तरह के नारे सार्वजनिक जगहों पर लिखना और उनका राजनीतिक इस्तेमाल करना समाज में तनाव फैला सकता है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है, जहां लोग अपनी-अपनी राय रख रहे हैं।
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