बिहार 2025: महागठबंधन का बड़ा ऐलान, क्या हर घर को मिलेगी नौकरी और महिलाओं को मिलेगा 2500 रुपये?

बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन का घोषणापत्र में हर घर नौकरी, महिलाओं को 2500 रुपये, मुफ्त बिजली, भूमिहीनों को जमीन और शराबबंदी की समीक्षा जैसे बड़े वादे शामिल हो सकते हैं।

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Tejashwi Yadav

बिहार चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन के नेताओं की ओर से यह संकेत मिल रहे हैं कि उनका आगामी घोषणापत्र राज्य के आम नागरिकों के लिए बड़े वादों से भरपूर होगा। सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव और उनके साथियों की योजना में हर घर के लिए रोजगार सुनिश्चित करना, महिलाओं को मासिक 2500 रुपये की वित्तीय सहायता देना, मुफ्त बिजली की सुविधा देना और भूमिहीनों को जमीन का अधिकार प्रदान करना जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं। हालांकि, घोषणापत्र में शराबबंदी कानून की समीक्षा करने का वादा भी किया जा सकता है, जो बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घोषणापत्र न केवल विपक्षी दलों के लिए चुनौती होगा बल्कि राज्य की सामाजिक और आर्थिक दिशा पर भी गहरा असर डाल सकता है।

हर घर को नौकरी और महिलाओं के लिए वित्तीय मदद

महागठबंधन की रणनीति स्पष्ट रूप से जनता की आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक न्याय पर केंद्रित दिखाई दे रही है। सूत्र बताते हैं कि घोषणापत्र में हर घर को रोजगार देने का वादा राज्य के युवाओं के लिए विशेष रूप से आकर्षक हो सकता है। वहीं, महिलाओं को मासिक 2500 रुपये की राशि देने का प्रस्ताव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही मुफ्त बिजली और स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाएं आम जनता के जीवन स्तर में सुधार का संदेश देती हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि यह घोषणापत्र लागू होता है, तो बिहार में सत्ता समीकरण पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

भूमिहीनों को जमीन और शराबबंदी की समीक्षा

महागठबंधन की योजना में भूमि वितरण का मुद्दा भी शामिल है। भूमिहीनों को जमीन देने का वादा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में एक मजबूत राजनीतिक संदेश भेजता है, जो लंबे समय से भूमि असमानता और सामाजिक न्याय की मांग करता रहा है। इसके अलावा, शराबबंदी कानून की समीक्षा करने का प्रस्ताव राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तर पर बहस को जन्म देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोषणापत्र बिहार के चुनावी माहौल में नई ऊर्जा और सस्पेंस पैदा करेगा। विपक्षी दलों के लिए यह चुनौती होगी कि वे किस तरह इस बड़े वादों के सामने अपनी रणनीति तय करते हैं।

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