Thursday, November 20, 2025

20 साल पहले आई सुनामी ने तबाह कर दिया सब कुछ, सांपों से भरे जंगल में दिया बेटे को जन्म, नमिता ने सुनाई दर्दनाक कहानी

December 26, 2004: नमिता रॉय और उनके परिवार के लिए 2004 में आई सुनामी की त्रासदी एक ऐसा भयानक अनुभव था जिसे वे कभी नहीं भूल सकते‌। यह 21वीं सदी की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा थी, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। मूल रूप से अंडमान-निकोबार के हटा बे द्वीप के निवासी नमिता राय ने सुनामी के बीच ही सांपों से भरे जंगल में अपने बेटे को जन्म दिया था। जिसका नाम उन्होंने सुनामी रखा। 20 साल बाद उस दिन को याद करते हुए नमिता की आंखें नम हो गई और उनके रोंगटे खड़े हो गए।

नमिता ने सुनाई खौफनाक दिन की दर्दनाक दास्तान

नमिता ने उसे दिन को याद करते हुए दर्दनाक दास्तां सुनाई और कहा कि,”मैं उसे खौफनाक दिन को याद कभी नहीं करना चाहती। मैं गर्भवती थी और रोजाना के घरेलू कामकाज में लगी थी अचानक मैंने भयानक सन्नाटा महसूस किया कुछ देर बाद एक डरावनी सरसराहट की आवाज आई और हमने देखा कि समुद्र की ऊंची लहरें हट बे द्वीप की ओर बढ़ रही थी और उसके बाद भूकंप के तेज झटके भी महसूस किए गए। मैंने लोगों को चिल्लाते हुए एक पहाड़ी की ओर भागते हुए देखा मैं घबराहट की वजह से बेहोश हो गई। घंटे बाद जब मुझे होश आया तो मैं खुद को जंगल में पाया जहां हजारों स्थानीय लोग थे वहां जब मैं अपने पति और बेटे को देखा तो मुझे थोड़ा सुकून मिला। समुद्र की लहरों में हमारा पूरा द्वीप नष्ट हो गया था लगभग सभी संपत्तियां तबाह हो चुकी थी।”

सांपों के जंगल में दिया बेटे को जन्म

नमिता राय ने आगे बताया कि, “रात 11 बजकर 49 पर मुझे प्रसव पीड़ा हुई, लेकिन वहां कोई चिकित्सक नहीं था मैं वही एक बड़े पत्थर पर लेट गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी। मेरे पति ने पूरी कोशिश की लेकिन उन्हें कोई चिकित्सीय मदद नहीं मिल पाई। फिर उन्होंने जंगल में शरण ले रही कुछ अन्य महिलाओं से मदद मांगी। उनकी सहायता से मैं बेहद चुनौती पूर्ण परिस्थितियों में बेटे को जन्म दिया। जिसका नाम मैंने सुनामी रख दिया। जंगल चारों तरफ से सांपों से घिरा हुआ था। खाने के लिए कुछ नहीं था और सुनामी के डर से जंगल से बाहर आने की हिम्मत नहीं थी। इसी बीच खून की कमी के कारण मेरी हालत बिगड़ने लगी। किसी तरह मैंने अपने बच्चे को जीवित रखने के लिए दूध पिलाया ‌। अन्य लोग सिर्फ नारियल पानी ही पीकर पेट भर रहे थे। उसके बाद हमें रक्षा कर्मियों ने बचाया और मुझे इलाज के लिए जहाज के जरिए जीबी पंत अस्पताल ले जाया गया।” अब नमिता अपने दोनों बेटों चोरावर सुनामी के साथ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में रहती हैं। उनके पति लक्ष्मी नारायण की मौत कोविड-19 महामारी के दौरान हो गई थी।

Read More-सोनू सूद को CM और डिप्टी सीएम बनने के भी मिले ऑफर, ठुकराते हुए एक्टर ने कहा-‘मुझे अपनी स्वतंत्रता खोने का डर है’

Hot this week

आंध्र प्रदेश में नक्सलियों का सफाया: हिडमा के बाद सात और ढेर, सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले के मारेडुमिल्ली क्षेत्र...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img