पाकिस्तान में हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि अब पढ़े लिखे लोग देश छोड़ने लगे हैं। डॉक्टर और इंजीनियर तेजी से पाकिस्तान को अलविदा कह रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो सालों में लगभग 11,000 इंजीनियर और 5,000 डॉक्टर देश छोड़ चुके हैं। इस पलायन ने शहबाज शरीफ सरकार की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह केवल रोजगार की कमी का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे देश के आर्थिक और सामाजिक विकास पर गंभीर असर डाल सकता है।
टैलेंट क्राइसिस बढ़ा रहा देश की टेंशन
पाकिस्तान अब टैलेंट क्राइसिस के दौर से गुजर रहा है। देश में गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह समस्या और बढ़ गई है। हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार, 2011 से 2024 के बीच नर्सों के पलायन में 2,144% की वृद्धि दर्ज की गई है। इस बढ़ोतरी ने देश में स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में खलीपन पैदा कर दिया है।
फ्रीलांसिंग सेक्टर भी संकट में
पूर्व सीनेटर मुस्तफा नवाज खोखर का कहना है कि पाकिस्तान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा फ्रीलांसिंग हब है। लेकिन इंटरनेट शटडाउन और तकनीकी अवरोधों की वजह से लगभग 2.37 मिलियन यानी 23.7 लाख फ्रीलांसिंग नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। इससे पाकिस्तान को लगभग 1.62 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। यह संकेत है कि केवल पारंपरिक नौकरियां ही नहीं, बल्कि डिजिटल सेक्टर भी संकट में है।
आर्मी चीफ की चौंकाने वाली प्रतिक्रिया
इस टैलेंट पलायन पर पाकिस्तान आर्मी चीफ मुनीर का कहना है कि उन्हें तो इससे फायदा हो रहा है। उनका तर्क है कि यह देश में बेरोजगारी दबाव कम कर सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ इस बयान को असंवेदनशील मान रहे हैं, क्योंकि उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों का पलायन देश के दीर्घकालिक विकास पर बुरा असर डाल सकता है। सरकार और नीति निर्माता अब इस संकट से निपटने के उपाय सोचने पर मजबूर हैं।








