UP Waterproof Mobile Case में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां संतकबीरनगर जिले के एक उपभोक्ता ने वाटरप्रूफ बताए गए महंगे स्मार्टफोन को खरीदा था। दावा था कि फोन पानी में भी सुरक्षित रहेगा, लेकिन कुछ ही दिनों में मोबाइल के अंदर नमी आने लगी और वह काम करना बंद कर गया। उपभोक्ता ने सर्विस सेंटर में शिकायत की, लेकिन कंपनी ने इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं माना। इसी के बाद मामला उपभोक्ता आयोग पहुंचा, जिसने अब बड़ा फैसला सुनाया है।
कंपनी के तर्क खारिज
सुनवाई के दौरान कंपनी ने कहा कि फोन का गलत इस्तेमाल हुआ है, इसलिए नुकसान उपयोगकर्ता की गलती है। लेकिन उपभोक्ता ने खरीद रसीद, वारंटी कार्ड, सर्विस सेंटर रिपोर्ट और फोन की खराबी की तस्वीरें आयोग के सामने पेश कीं। सबूतों से साफ हुआ कि फोन वाटरप्रूफ बताने के बावजूद पानी से खराब हुआ, और इसमें उपभोक्ता की कोई गलती नहीं थी। आयोग ने माना कि गलत विज्ञापन और दोषपूर्ण प्रोडक्ट देने के कारण उपभोक्ता को आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव दोनों हुआ।
आयोग का सख्त रुख: ₹1.58 लाख ब्याज समेत लौटाने का आदेश
संतकबीरनगर उपभोक्ता आयोग ने UP Waterproof Mobile Case में कंपनी पर सख्त टिप्पणी की। आयोग ने कहा कि उपभोक्ता को भ्रमित करना और दोषपूर्ण प्रोडक्ट बेचना अनैतिक व्यापार व्यवहार है। आदेश में कंपनी को मोबाइल की पूरी कीमत, मरम्मत खर्च, मानसिक प्रताड़ना का मुआवजा और केस खर्च मिलाकर कुल ₹1.58 लाख उपभोक्ता को लौटाने को कहा गया है। साथ ही यह राशि निर्धारित समय में न चुकाने पर उस पर ब्याज भी लागू होगा।
टेक कंपनियों के लिए बड़ा संदेश
इस मामले में फैसला देशभर के उपभोक्ताओं के लिए मिसाल बन सकता है। अक्सर कंपनियाँ विज्ञापन में प्रोडक्ट की खूबियाँ बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती हैं, लेकिन नुकसान होने पर पल्ला छुड़ा लेती हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि गलत वादा कर कोई भी कंपनी उपभोक्ता से धोखा नहीं कर सकती। इस फैसले के बाद अन्य उपभोक्ता भी अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक होंगे और ऐसे मामलों में न्याय पाने की उम्मीद बढ़ेगी।
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