Thursday, November 13, 2025

Lucknow: शिक्षा की आड़ में फर्जीवाड़े का साम्राज्य! ईडी की रेड से हिली यूनिवर्सिटियां, निकले करोड़ों के सबूत

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने वाले गिरोह के खिलाफ देशभर में सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक को अंजाम दिया। ईडी की करीब 10 टीमों ने एक साथ उत्तर प्रदेश के हापुड़ में मोनाड यूनिवर्सिटी और उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज समेत दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव और सोनीपत के 16 ठिकानों पर छापेमारी की। कार्रवाई का मकसद उन नेटवर्क्स का पर्दाफाश करना था जो छात्रों को पैसे लेकर फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट उपलब्ध कराते थे।

सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा रैकेट बीते कई वर्षों से सक्रिय था और देशभर में सैकड़ों छात्रों को नकली डिग्रियां बेच चुका था। ईडी ने जिन जगहों पर छापा मारा, वहां से बड़ी मात्रा में कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, सील, संस्थान के लेटरहेड, और संदिग्ध अकाउंट बुक्स जब्त की गई हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, यह नेटवर्क केवल एक या दो संस्थानों तक सीमित नहीं था बल्कि कई निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों तक फैला हुआ था।

प्रिंसिपल के ठिकाने पर दबिश, मिले चौंकाने वाले दस्तावेज़

ईडी की छापेमारी के दौरान सबसे बड़ी कार्रवाई उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज में हुई, जहां से एजेंसी को फर्जी एडमिशन रिकॉर्ड और संदिग्ध भुगतान रसीदें मिलीं। इसी कड़ी में एजेंसी ने कॉलेज प्रिंसिपल अखिलेश मौर्य के गोमतीनगर विस्तार, लखनऊ स्थित घर और उनकी एक अन्य संस्था पर भी छापे मारे। बताया जा रहा है कि वहां से कई डिजिटल डिवाइस, बैंक स्टेटमेंट और दस्तावेज़ बरामद किए गए हैं, जो सीधे फर्जी मार्कशीट सिंडिकेट से जुड़े हो सकते हैं।

एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि यह गिरोह छात्रों से मोटी रकम लेकर मार्कशीट और डिग्री तैयार कर उन्हें विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में दर्ज कराता था, जिससे वे असली जैसी लगती थीं। इस नेटवर्क के जरिए कई छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे संवेदनशील कोर्सों में भी एडमिशन दिलवाया गया।

फर्जी डिग्री का राष्ट्रीय नेटवर्क – लाखों छात्रों की करियर पर संकट

ईडी के पास जो सबूत मिले हैं, वे संकेत दे रहे हैं कि यह सिर्फ एक राज्य का नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का एजुकेशनल फर्जीवाड़ा है। जांच में अब तक सामने आया है कि इस रैकेट से कई प्राइवेट कॉलेजों, ब्रोकरों और शैक्षणिक कंसल्टेंट्स का नेटवर्क जुड़ा हुआ है। माना जा रहा है कि इन संस्थानों के जरिए न केवल देश बल्कि विदेशों में भी फर्जी डिग्रियां बेची जा रही थीं।

ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से भी जांच शुरू कर दी है। एजेंसी का दावा है कि कुछ संदिग्ध खातों में करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है, जिसकी ट्रेसिंग फिलहाल जारी है। जांच पूरी होने के बाद कई बड़े नामों के सामने आने की संभावना है। जांच एजेंसी ने कहा है कि जिन छात्रों ने इस नेटवर्क के जरिए फर्जी डिग्रियां हासिल की हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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