सावधान क्रिएटर्स! 17 नवंबर के बाद YouTube पर बदल जाएगा सब कुछ…

17 नवंबर से YouTube पर लागू होंगे नए नियम — गैंबलिंग, कैसिनो-स्टाइल और वाइलेंट गेमिंग कंटेंट पर कड़ी पाबंदी। जानिए क्या बदलने वाला है और क्रिएटर्स को किन बातों का ध्यान रखना होगा।

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YouTube एक बार फिर से अपने प्लेटफॉर्म को सुरक्षित और जिम्मेदार बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। कंपनी ने घोषणा की है कि 17 नवंबर से प्लेटफॉर्म पर गैंबलिंग, कैसिनो-स्टाइल गेमिंग, और डिजिटल गुड्स या NFTs से जुड़ा कंटेंट अब पहले से कहीं ज्यादा निगरानी में रहेगा। इसका सीधा मतलब है कि जो वीडियो डिजिटल आइटम्स (जैसे गेम स्किन्स या NFTs) के ज़रिए किसी तरह की सट्टेबाज़ी या जुआ जैसी गतिविधियों को दिखाते हैं, उन पर प्रतिबंध या आयु सीमा लगाई जाएगी। YouTube का कहना है कि यह कदम दर्शकों, खासकर नाबालिगों, को ऐसे संवेदनशील कंटेंट से दूर रखने के लिए उठाया गया है।

NFT और डिजिटल गुड्स वाले वीडियो पर बढ़ेगी निगरानी

YouTube के अनुसार, डिजिटल युग में गैंबलिंग के नए रूप तेजी से बढ़ रहे हैं। जिनमें NFTs, इन-गेम आइटम्स और वर्चुअल करेंसीज़ का इस्तेमाल जुए जैसी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। ऐसे में कंपनी नहीं चाहती कि उसका प्लेटफॉर्म इन ट्रेंड्स का केंद्र बन जाए। इसलिए अब कोई भी क्रिएटर अगर ऐसे वीडियो बनाता है जिसमें डिजिटल सामान के बदले सट्टेबाज़ी या रिवार्ड की बात की गई हो, तो उसे रेस्ट्रिक्टेड कंटेंट माना जाएगा। यह कदम केवल दर्शकों की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि विज्ञापनदाताओं के भरोसे को बनाए रखने के लिए भी अहम है।

इसके अलावा, YouTube ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी वीडियो में गैंबलिंग वेबसाइट्स, ऐप्स या गैर-अधिकृत प्लेटफॉर्म्स के लिंक, लोगो या प्रमोशन दिए गए हैं, तो उस वीडियो को तुरंत हटाया जा सकता है या उस पर एज लिमिट लगा दी जाएगी। कंटेंट क्रिएटर्स को सलाह दी गई है कि वे अपलोड करने से पहले अपने वीडियो की सामग्री को सावधानीपूर्वक जांचें ताकि कोई नीति उल्लंघन न हो।

हिंसक गेमिंग कंटेंट पर भी नई सीमा

नई पॉलिसी केवल गैंबलिंग तक सीमित नहीं है — बल्कि वाइलेंट गेमिंग वीडियो पर भी अब सख्ती बरती जाएगी। अगर किसी गेमिंग वीडियो में अत्यधिक ग्राफिक हिंसा, रक्तपात या इंसान जैसी आकृतियों पर अत्याचार दिखाया गया है, तो ऐसे कंटेंट को अब एज-रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में रखा जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस तरह के दृश्य 18 वर्ष से कम उम्र के दर्शकों तक न पहुंचें।

YouTube का कहना है कि गेमिंग कंटेंट का मकसद मनोरंजन होना चाहिए, न कि हिंसा को सामान्य बनाना। कंपनी चाहती है कि क्रिएटर्स ऐसे गेमप्ले शेयर करें जिनमें मनोरंजन और रचनात्मकता हो, लेकिन अति-यथार्थवादी हिंसा न हो। ऐसे वीडियो जो बहुत वास्तविक दिखते हैं, लंबी हिंसक क्लिप्स दिखाते हैं या जिनमें डरावने दृश्य शामिल हैं, उन्हें स्वतः ही “सीमित दर्शक” श्रेणी में रखा जाएगा।

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