Wednesday, November 26, 2025

अरुणाचल प्रदेश पर विवादित बयान: शंघाई एयरपोर्ट पर भारतीय महिला को 18 घंटे तक क्यों रखा गया हिरासत में?

ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय मूल की एक महिला ने चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर अपने साथ हुई घटना का एक गंभीर आरोप लगाया है। महिला, जिसका नाम पीमा बताया गया है, ने कहा कि वह सिर्फ ट्रांजिट प्रक्रिया के लिए एयरपोर्ट पर पहुंची थीं, लेकिन यह छोटी सी औपचारिकता एक बड़े विवाद में बदल गई। उनके अनुसार, एयरपोर्ट सुरक्षा और इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके दस्तावेजों को देखते ही उन्हें रोक लिया और आगे की उड़ान में जाने से मना कर दिया।
पीमा का कहना है कि उनसे बार-बार पूछताछ की गई, उनका पासपोर्ट जांच के नाम पर लेकर रख लिया गया और उन्हें एक कमरे में घंटों बिठाए रखा गया। उन्होंने बताया कि शुरुआती कुछ घंटे तो उन्हें लगा कि शायद प्रक्रिया लंबी है, लेकिन बाद में जब उन्हें बाहर जाने नहीं दिया गया, तो उन्हें समझ आया कि मामला गंभीर हो चुका है। ये 18 घंटे उनके लिए तनाव और डर से भरे हुए थे।

‘जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश’ पर विवाद

महिला के अनुसार, समस्या तब शुरू हुई जब अधिकारियों ने उसके भारतीय पासपोर्ट पर दर्ज जन्मस्थान—”Arunachal Pradesh” को देखकर पासपोर्ट को “अवैध” करार दिया। पीमा ने बताया कि इमिग्रेशन अधिकारियों ने साफ कहा कि अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है, इसलिए भारतीय पासपोर्ट में यह क्षेत्र भारत का बताया गया है, जो उनके अनुसार स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश भी नहीं की और शुरू से ही उनके साथ सख्त व्यवहार किया। कई बार बातचीत के दौरान उनसे कहा गया कि “आपने गलत पासपोर्ट दिया है, यह मान्य नहीं है।”
पीमा ने कहा कि उन्हें लगातार यह समझाने की कोशिश की जाती रही कि उनके दस्तावेज गलत हैं और वह चीन के नियमों के अनुसार उसे मान्य नहीं ठहराया जा सकता। इस दौरान वे अकेली थीं और उनके पास किसी से संपर्क करने का भी पर्याप्त मौका नहीं था।

महिला बोलीं—डर लगा कि मैं बाहर ही नहीं निकल पाऊंगी

पीमा ने बताया कि हिरासत में रखे जाने के दौरान उन्हें बेहद असुरक्षित महसूस हुआ। कमरे में न तो उनके पास फोन इस्तेमाल की पूरी अनुमति थी और न ही वे किसी अधिकारी से स्पष्ट जवाब पा सकीं। उन्होंने दावा किया कि कई अधिकारी अंग्रेजी में बात नहीं कर रहे थे, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। बार-बार पूछताछ, दस्तावेजों की जांच और लगातार निगरानी ने उन्हें मानसिक दबाव में डाल दिया।

उन्होंने कहा, “18 घंटे तक मुझे यह ही नहीं पता चला कि मैं यहां क्या कर रही हूं, मैं कौन सी गलती कर रही हूं और मुझे आगे क्या करना होगा। मुझे लगा कि शायद मुझे देश से बाहर वापस नहीं जाने दिया जाएगा।”
जब उन्होंने ब्रिटेन में अपने निवास की जानकारी भी दी, तब भी अधिकारियों का रवैया नहीं बदला। वे महिला से लगातार कहते रहे कि उनके दस्तावेज चीन के नियमों के अनुसार सही नहीं हैं और प्रक्रिया तब तक आगे नहीं बढ़ सकती जब तक “गलती स्पष्ट न हो जाए।”

मामला विवादित!

करीब 18 घंटे बीतने के बाद आखिरकार महिला को आगे की उड़ान में जाने की अनुमति दी गई। लेकिन इस पूरे मामले के बाद पीमा ने कहा कि यह अनुभव भुलाना उनके लिए आसान नहीं होगा। उन्होंने घटना के बाद मीडिया से कहा कि किसी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर इस तरह की दिक्कत का सामना करना बेहद परेशान करने वाला था। उन्होंने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश पर चीन की आपत्ति पुरानी है, लेकिन एक आम यात्री को इस तरह हिरासत में रखना किसी भी देश के व्यवहार पर सवाल खड़े करता है।

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर तनाव पहले से ही संवेदनशील स्थिति में है। चीन अक्सर अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है, जबकि भारत इसे अपने 100% अधिकार क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करता है।

पीमा की घटना ने इस मुद्दे को फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि किसी यात्री को जन्मस्थान के आधार पर हिरासत में लेना अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रैवल नियमों का उल्लंघन है।
इस बीच, महिला ने कहा कि वह इस घटना को लेकर अपनी सरकार और मानवाधिकार एजेंसियों को औपचारिक शिकायत दर्ज करने पर विचार कर रही हैं।

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