मराठा आंदोलन पर हाईकोर्ट की सख्ती: सड़कों से हटने का अल्टीमेटम

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नाम पर सड़कों पर हो रही अराजकता पर सख्ती दिखाई, आंदोलनकारियों को आजाद मैदान के बाहर से हटने का दिया अंतिम अल्टीमेटम।

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Maratha Reservation

मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर मुंबई में बीते कुछ दिनों से भारी हलचल देखने को मिल रही है। आंदोलनकारियों द्वारा सड़कों पर बैठकर यातायात व्यवस्था बाधित करने और कानून-व्यवस्था को चुनौती देने की घटनाओं पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि मुंबई की सड़कों को बंद करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश दिया कि मंगलवार शाम तक सभी आंदोलनकारी आजाद मैदान को छोड़कर मुंबई की अन्य सड़कों से हट जाएं।

आंदोलन के नाम पर अराजकता नहीं चलेगी: कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना उसका कर्तव्य है, लेकिन आंदोलन के नाम पर जनजीवन अस्त-व्यस्त करना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, परंतु इसका यह मतलब नहीं कि सड़कों को जाम कर आम जनता को परेशानी में डाला जाए। हाईकोर्ट की फटकार के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आंदोलनकारी इस चेतावनी को किस तरह लेते हैं और सरकार इस मसले को कैसे संभालती है।

आगे क्या होगा?

हाईकोर्ट की चेतावनी के बाद पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ गई है। यदि तय समय यानी मंगलवार शाम तक आंदोलनकारी सड़कें खाली नहीं करते, तो क्या कड़ी कार्रवाई की जाएगी? इस सवाल पर सभी की नजरें टिकी हैं। सरकार के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है क्योंकि एक तरफ मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग है, तो दूसरी ओर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी। इस बीच आम नागरिकों को राहत मिलने की उम्मीद जरूर बनी है, लेकिन आने वाला समय तय करेगा कि अदालत के आदेशों का कितना असर होता है।

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