महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष ने एक बार फिर खौफनाक रूप ले लिया है। ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बाघ ने एक घंटे के भीतर दो अलग-अलग जगहों पर हमला कर दो मजदूरों की जान ले ली। यह घटनाएं मामला और महादवाड़ी वन क्षेत्र में उस समय हुईं, जब मजदूर रोज़ की तरह जंगल में बांस कटाई का काम कर रहे थे। अचानक झाड़ियों से निकले बाघ ने पहले एक मजदूर पर हमला किया और कुछ ही समय बाद दूसरे स्थान पर दूसरे मजदूर को अपना शिकार बना लिया। हमले के बाद जंगल में काम कर रहे अन्य मजदूर जान बचाकर इधर-उधर भागे, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। घटना की सूचना मिलते ही गांवों में डर का माहौल फैल गया और लोग घरों से बाहर निकलने से भी कतराने लगे।
कौन थे मृत मजदूर, कैसे हुआ हमला
बाघ के हमले में जान गंवाने वाले मजदूरों की पहचान प्रेम सिंह दुखी उदे और बुदशिंग श्यामलाल मडावी के रूप में हुई है। दोनों मजदूर मूल रूप से मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के रहने वाले थे और वन विभाग द्वारा बांस कटाई के काम के लिए बुलाए गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मजदूर जंगल के अंदर बांस काटने में जुटे थे, तभी अचानक बाघ ने घात लगाकर हमला कर दिया। हमला इतना अचानक और तेज था कि मजदूरों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। अन्य मजदूरों ने शोर मचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
चंद्रपुर में क्यों बढ़ रहा टाइगर अटैक का खतरा
चंद्रपुर जिला पिछले कुछ वर्षों से मानव-वन्यजीव संघर्ष का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। खासतौर पर ताडोबा टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के बफर क्षेत्रों में बाघों की संख्या बढ़ने से टकराव की घटनाएं भी बढ़ी हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल के भीतर इस इलाके में बाघों के हमलों में अब तक 47 नागरिकों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन और क्षेत्र की कमी, बफर जोन में मानवीय गतिविधियों का बढ़ना और मजदूरों का बिना पर्याप्त सुरक्षा के जंगल में काम करना इन हमलों की बड़ी वजह है। कई बार बाघ इंसानी आवाजों और हलचल का आदी हो जाता है, जिससे वह इंसानों को आसान शिकार समझने लगता है। यही कारण है कि चंद्रपुर में टाइगर अटैक अब एक गंभीर समस्या बन चुका है।
सर्च ऑपरेशन तेज, गांवों में अलर्ट
घटना के बाद वन विभाग ने पूरे इलाके में सर्च और ट्रैकिंग ऑपरेशन तेज कर दिया है। बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं और हाथियों की मदद से जंगल में गश्त बढ़ा दी गई है। आसपास के गांवों में मुनादी कर लोगों को जंगल में न जाने की चेतावनी दी जा रही है। प्रशासन ने मजदूरों और ग्रामीणों से अपील की है कि वे बिना अनुमति और सुरक्षा के जंगल में प्रवेश न करें। वहीं, स्थानीय लोगों में वन विभाग की व्यवस्था को लेकर नाराजगी भी देखने को मिल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार हो रही मौतों के बावजूद स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। फिलहाल पूरे चंद्रपुर जिले में दहशत का माहौल है और हर कोई यही सवाल पूछ रहा है कि आखिर इंसान और बाघ के बीच यह संघर्ष कब थमेगा।
Read more-इस्लाम में शराब हराम, लेकिन डॉलर के लिए जायज? पाकिस्तान ने 50 साल बाद उठाया ये बड़ा कदम







