Saturday, December 13, 2025

सात समंदर पार से आई दुल्हन: हिंदू रीति रिवाज से रचाई शादी, चीन की बेटी और झारखंड के बेटे की अनोखी प्रेम कहानी कर देगी हैरान

झारखंड के साहिबगंज जिले के रहने वाले चंदन सिंह और चीन की रहने वाली छियाओ जियाओ की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। दोनों की मुलाकात कई वर्ष पहले तब हुई, जब वे उच्च शिक्षा के लिए लंदन पहुंचे थे। अलग-अलग देशों, भाषाओं और संस्कृतियों से आने के बावजूद दोनों की सोच, सरल स्वभाव और भविष्य के सपनों ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया। यह दोस्ती धीरे-धीरे गहरे प्रेम में बदलती गई।

लंदन के शैक्षणिक माहौल में पढ़ाई के साथ-साथ एक-दूसरे के साथ समय बिताने ने उनके रिश्ते में मजबूती लाई। छियाओ जियाओ को भारत की संस्कृति, परिवारिक मूल्य और चंदन की सादगी ने बहुत प्रभावित किया। वहीं चंदन को छियाओ जियाओ की ईमानदारी, मेहनती स्वभाव और अपने रिश्ते के प्रति गंभीरता ने आकर्षित किया। लंदन की बहुराष्ट्रीय दुनिया में, दोनों ने महसूस किया कि वे जीवन भर साथ रहने के लिए बने हैं। यही एहसास उन्हें प्रेम से विवाह के निर्णय तक ले आया।

दो संस्कृतियों को जोड़ने की जिम्मेदारी निभाई चंदन के पिता ने

प्रेम संबंध को शादी के रूप में बदलना हमेशा आसान नहीं होता, खासकर तब जब दो अलग-अलग देशों की संस्कृति और परम्पराएँ शामिल हों। लेकिन चंदन सिंह के पिता शंभू शंकर सिंह ने इस रिश्ते को दिल से स्वीकार किया। उन्होंने बिना किसी संकोच या विरोध के अपने बेटे के फैसले को सम्मान दिया और इस अंतरराष्ट्रीय रिश्ते को अपनाया।

शंभू शंकर सिंह ने न केवल रिश्ते को मंजूरी दी, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि विवाह पूरी भारतीय रीति-रिवाज से संपन्न हो। उनका मानना था कि यदि प्यार सच्चा हो, तो सीमाएँ मायने नहीं रखतीं। पिताजी की समझदारी और सकारात्मक सोच ने पूरे परिवार को खुशियों से भर दिया। उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर छियाओ जियाओ के परिवार से संपर्क किया और उन्हें भारतीय संस्कृति के बारे में समझाया। उनकी इस खुले विचारधारा ने दोनों परिवारों को एक सूत्र में जोड़ दिया।

हिन्दू वैदिक रीति-रिवाजों से हुआ पवित्र मिलन

जब शादी की तैयारी शुरू हुई, तो चंदन और छियाओ जियाओ दोनों ने सहमति जताई कि विवाह भारतीय परंपराओं के अनुसार ही किया जाएगा, ताकि यह रिश्ता केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों का संगम बन सके। साहिबगंज में पूरे विधि-विधान के साथ विवाह का आयोजन किया गया, जहाँ छियाओ जियाओ ने भारतीय दुल्हन की तरह लाल जोड़ा पहनकर हर संस्कार को सम्मान दिया।

वैदिक मंत्रों की गूँज, अग्नि के सात फेरे और भारतीय रस्मों ने इस शादी को खास बना दिया। स्थानीय लोगों ने भी इस अनोखी शादी को उत्साह से देखा। विदेशी होते हुए भी जब छियाओ जियाओ ने भारतीय रीति-रिवाजों को पूरे मन से अपनाया, तो सभी ने उनकी सराहना की। यह विवाह सिर्फ दो दिलों का मिलन नहीं, बल्कि देशों के बीच दोस्ती, संस्कृतियों के बीच अपनापन और रिश्तों के प्रति सम्मान का अनूठा उदाहरण बन गया।

समाज में नई सोच और रिश्तों के प्रति सम्मान का संदेश

यह अंतरराष्ट्रीय विवाह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है, क्योंकि यह बताता है कि प्रेम भाषा, देश, जाति या धर्म की सीमा में बंधा नहीं होता। प्यार वहीं पनपता है, जहाँ दिलों के बीच भरोसा, सम्मान और समर्पण हो। चंदन और छियाओ जियाओ की कहानी ने यह भी साबित किया कि परिवार का सहयोग हो तो किसी भी रिश्ते में मजबूती आती है।

इस शादी ने स्थानीय क्षेत्र में भी सकारात्मक संदेश दिया है कि दुनिया अब सीमाओं से नहीं, दिलों और संस्कृतियों के मेल से आगे बढ़ रही है। भारत जैसी विविधता भरी धरती पर जब एक विदेशी बेटी भारतीय रीति-रिवाजों को अपनाकर परिवार का हिस्सा बनती है, तो यह समाज में नए बदलाव और नई सोच की दिशा दिखाता है। चंदन और छियाओ जियाओ की प्रेम कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बनेगी, जो यह सिखाती है कि सच्चे रिश्ते हमेशा सीमाओं से परे होते हैं।

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