Sunday, December 21, 2025

अब न सास-ससुर का चलेगा हुक्म… बहू को घर से निकालना आसान नहीं! दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया ऐसा आदेश जिसने बदल दी खेल की दिशा

Delhi High Court ने एक अहम आदेश में साफ कर दिया है कि शादी के बाद जिस घर में पत्नी अपना वैवाहिक जीवन शुरू करती है, वही उसका साझा घर माना जाएगा। इस घर से उसे बिना कानूनी प्रक्रिया के बेदखल नहीं किया जा सकता — चाहे पति को उसके माता-पिता ने बेदखल ही क्यों न कर दिया हो। कोर्ट ने यह आदेश उस मामले में सुनाया जिसमें सास ने अपनी बहू को घर से निकालने के लिए याचिका दायर की थी। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने सास की यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि बहू को मनमाने तरीके से हटाना कानून के खिलाफ है।

यह फैसला सिर्फ एक परिवार के लिए ही नहीं बल्कि हजारों महिलाओं के अधिकारों के लिए नजीर बन सकता है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि ‘शेयर्ड हाउसहोल्ड’ यानी साझा घर का अधिकार पति की स्थिति पर निर्भर नहीं करता।

पति बेदखल होने के बावजूद भी नहीं खत्म होता बहू का अधिकार

इस मामले में विवाद की जड़ एक ऐसा घर था जहां महिला 2010 से रह रही थी। 2011 में पति-पत्नी के रिश्तों में दरार पड़ी और मामला सिविल और क्रिमिनल अदालतों तक पहुंच गया। सास और दिवंगत ससुर ने दावा किया कि यह मकान उनकी निजी संपत्ति है, इसलिए बहू को यहां रहने का अधिकार नहीं है। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि शादी के बाद जो घर महिला का ससुराल बन जाता है, उसे ‘साझा घर’ माना जाएगा—चाहे उसका मालिकाना हक सास-ससुर के पास ही क्यों न हो।

कोर्ट ने यह भी माना कि मौजूदा व्यवस्था में सास ऊपरी मंजिल पर और बहू निचली मंजिल पर रह रही है, और यह व्यवस्था दोनों पक्षों के अधिकारों का सम्मान करती है। इसलिए किसी भी पक्ष को एकतरफा कार्रवाई की इजाज़त नहीं दी जा सकती।

‘कानून के दायरे में ही होगी कार्रवाई’— अदालत ने दी दो टूक चेतावनी

फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर किसी भी परिवार में बहू को साझा घर से निकाला जाना है, तो वह केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत ही हो सकता है। सास-ससुर के पास बहू को निकालने का कोई सीधा अधिकार नहीं है। यह फैसला उन मामलों के लिए मिसाल बन सकता है, जहां बहूओं को परिवारिक विवादों में घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि यह निर्णय न केवल महिलाओं की सुरक्षा को मज़बूत करेगा बल्कि बुजुर्गों और बहू के बीच रहने की परिस्थितियों में भी संतुलन बनाएगा। अदालत ने दोनों पक्षों के अधिकारों में संतुलन बनाते हुए कहा— “शादी के बाद जहां पत्नी ने वैवाहिक जीवन की शुरुआत की, वही उसका वैधानिक साझा घर है।”

READ MORE –जश्न से जनाज़ा: पाकिस्तान की बमबारी में मारे गए 3 अफगानी क्रिकेटर, ACB का बड़ा फैसला

Hot this week

71 की उम्र में रेखा ने रचाई शादी? खुलासा करते हुए बोली ‘प्यार है तो….’

बॉलीवुड की एवरग्रीन अदाकारा रेखा हाल ही में फिल्म...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img