Tuesday, December 2, 2025

दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी: CJI सूर्यकांत ने केंद्र से मांगा ठोस प्लान, कहा –हम चुप नहीं बैठ सकते

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर कड़ी चिंता जताई है। चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली के प्रदूषण पर हम चुप नहीं बैठ सकते। उन्होंने केंद्र सरकार से पूरी और ठोस योजना पेश करने को कहा ताकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए तुरंत और प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
कोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि सिर्फ पराली जलाना ही प्रदूषण का कारण नहीं है। दिल्ली में प्रदूषण के कई स्रोत हैं और इन सभी पर नियंत्रण करना जरूरी है। CJI ने यह भी उदाहरण दिया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान लोग नीला आकाश और तारे साफ़ देख पा रहे थे, जो दर्शाता है कि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

CJI सूर्यकांत का सख्त रुख और केंद्र को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से निर्देश दिए कि प्रदूषण रोकने के लिए एक ठोस और समयबद्ध योजना बनाई जाए। CJI ने कहा, “हम बेकार नहीं बैठ सकते। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है, जिससे लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है। यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य का भी बड़ा सवाल है।”

कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि मौजूदा योजनाओं में कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं और किस समय सीमा में सुधार दिखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण के कारण बच्चों, बुजुर्गों और संवेदनशील वर्गों को सबसे ज्यादा खतरा है।

कोविड-19 लॉकडाउन और प्रदूषण में फर्क

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लॉकडाउन का उदाहरण देते हुए कहा कि कोविड-19 के दौरान जब अधिकतर उद्योग और वाहन बंद थे, तो लोग साफ नीला आकाश और चमकते तारे देख पा रहे थे। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

CJI सूर्यकांत ने कहा कि यह सबूत बताता है कि अगर सरकार प्रभावी कदम उठाए तो हवा की गुणवत्ता में सुधार संभव है। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि केवल पराली जलाने पर ध्यान देने की बजाय औद्योगिक प्रदूषण, वाहनों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषण पर भी ध्यान दें।

सुप्रीम कोर्ट की अपेक्षाएँ और आगे की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकारें इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करें। अदालत ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कार्रवाई और स्पष्ट समयसीमा जरूरी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार अब सक्रिय कदम उठाती है तो दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में सुधार संभव है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि यदि समय पर उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वह सख्त आदेश देने से भी पीछे नहीं हटेगी।
अगली सुनवाई में केंद्र सरकार को अपनी योजना पेश करनी होगी और अदालत इस पर समीक्षा करेगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ है – दिल्ली के प्रदूषण के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

Read more-मोतिहारी में बेकाबू ट्रक का कहर: 6 गाड़ियों को रौंदा, 5 की दर्दनाक मौत, कई लोग गंभीर रूप से घायल

Hot this week

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img