Saturday, December 20, 2025

समुद्री पक्षी के जरिये जासूसी? भारतीय नौसेना ठिकाने के पास GPS वाला सीगल, इस देश से निकला कनेक्शन

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में उस समय हड़कंप मच गया, जब भारतीय नौसेना के एक अहम ठिकाने के पास एक समुद्री पक्षी सीगल घायल अवस्था में पाया गया। यह मामला कारवार तट के पास सामने आया, जहां स्थानीय लोगों ने पक्षी को असामान्य हालत में देखा। पहली नजर में यह एक सामान्य प्रवासी पक्षी लग रहा था, लेकिन जब लोगों ने उसके पैरों की ओर ध्यान दिया, तो सभी चौंक गए। सीगल के पैरों में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बंधी हुई थी, जिसे देखकर तुरंत पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को सूचना दी गई। नौसेना बेस के आसपास ऐसी घटना सामने आने के बाद सुरक्षा को लेकर चिंता स्वाभाविक रूप से बढ़ गई।

GPS ट्रैकर और सोलर पैनल ने बढ़ाया शक

जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि सीगल के पैरों में जो उपकरण लगा था, वह एक GPS ट्रैकर था। इस ट्रैकर में छोटा सा सौर पैनल भी लगा हुआ था, जिससे यह साफ हो गया कि डिवाइस लंबे समय तक काम करने के लिए डिजाइन की गई थी। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया कि यह ट्रैकर चीन में निर्मित है, जिससे मामले ने और गंभीर रूप ले लिया। भारत की नौसैनिक ताकत और रणनीतिक गतिविधियों को देखते हुए सवाल उठने लगे कि क्या इस पक्षी के जरिये किसी तरह की जासूसी करने की कोशिश की जा रही थी। हालांकि, अधिकारियों ने अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से इनकार किया है, लेकिन ट्रैकर की मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।

ईमेल संदेश और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच

अधिकारियों को ट्रैकर से जुड़े डेटा की जांच के दौरान एक ईमेल आईडी का भी पता चला। बताया गया कि उपकरण में ऐसा संदेश दर्ज था, जिसमें लिखा था कि अगर यह चिड़िया किसी को मिले तो उस ईमेल पर संपर्क किया जाए। इस जानकारी ने जांच को और जटिल बना दिया है। सुरक्षा एजेंसियां अब यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि यह ईमेल किसका है और इसका संबंध किसी शोध परियोजना से है या फिर किसी अन्य गतिविधि से। पक्षियों पर GPS ट्रैकर लगाकर उनके प्रवास मार्ग का अध्ययन करना दुनियाभर में आम है, लेकिन संवेदनशील सैन्य इलाके के पास इस तरह का उपकरण मिलना कई सवाल खड़े करता है, खासकर जब इसका कनेक्शन चीन से जुड़ता दिखाई दे रहा हो।

पुलिस और वन विभाग अलर्ट, जांच जारी

पुलिस के मुताबिक, मंगलवार को कोस्टल पुलिस ब्रांच ने कारवार के रवींद्रनाथ टैगोर बीच पर इस घायल सीगल को देखा और तुरंत उसे वन विभाग को सौंप दिया गया। फिलहाल पक्षी का इलाज किया जा रहा है और ट्रैकर को जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है। सुरक्षा एजेंसियां यह भी जांच कर रही हैं कि क्या यह सिर्फ एक वैज्ञानिक अध्ययन का हिस्सा था या फिर इसके पीछे कोई गहरी मंशा छिपी हुई है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आधुनिक तकनीक के दौर में निगरानी के तरीके कितने अप्रत्याशित हो सकते हैं। जांच पूरी होने तक सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं और नौसेना बेस के आसपास निगरानी बढ़ा दी गई है।

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