Thursday, November 13, 2025

बेंगलुरु एयरपोर्ट पर नमाज से हड़कंप: कैसे दी गई अनुमति, सवाल उठते ही राजनीति गरमाई

बेंगलुरु के केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 में हाल ही में कुछ यात्रियों द्वारा नमाज अदा करने की घटना ने राजनीतिक और सुरक्षा दोनों स्तरों पर हड़कंप मचा दिया है। इस घटना ने न केवल यात्रियों में हैरानी पैदा की, बल्कि भाजपा के नेताओं के बीच भी गहरी चिंता का विषय बन गई। बीजेपी प्रवक्ता विजय प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर यह अनुमति कैसे दी गई और क्या यह नियमों के अनुरूप थी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ धार्मिक मामला नहीं है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और नियमों की अवहेलना का भी सवाल है।

विजय प्रसाद ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री प्रियांक खड़गे से सीधे सवाल किया कि क्या वे इस घटना को मंजूर करते हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार की ओर से दोहरे मानक अपनाए जा रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आयोजनों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, वहीं इसी तरह की अन्य धार्मिक गतिविधियों को सार्वजनिक स्थानों पर अनुमति दी जा रही है। बीजेपी का कहना है कि यह स्थिति भविष्य में सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती है और ऐसे मामलों में नियमों का स्पष्ट पालन होना चाहिए।

राजनीतिक आरोप और डबल स्टैंडर्ड की बहस

इस मुद्दे ने राज्य में राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है। भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार द्वारा अपनाए गए डबल स्टैंडर्ड का उदाहरण बताया है। विजय प्रसाद ने ट्वीट में लिखा कि अगर किसी संगठन की ओर से सार्वजनिक या धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, तो उस पर तुरंत रोक और निगरानी रखी जाती है, लेकिन जब वही गतिविधि कुछ यात्रियों द्वारा एयरपोर्ट में की जाती है तो इसे अनुमति दे दी जाती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आगामी चुनावों में भी सेंसेशन पैदा कर सकता है। ऐसे समय में जब धार्मिक और सुरक्षा संवेदनशीलता दोनों ही मुद्दों पर राजनीतिक दल सक्रिय हैं, यह घटना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सवालिया निशान छोड़ रही है। जनता के बीच इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया मिश्रित है। कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता के हिस्से के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे सुरक्षा नियमों की अवहेलना मान रहे हैं।

साथ ही, एयरपोर्ट प्रशासन ने फिलहाल इस मामले पर कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है। अधिकारी केवल यह कह रहे हैं कि “घटना की जांच जारी है और यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।” हालांकि, इस बयान ने भी राजनीतिक और सामाजिक बहस को पूरी तरह शांत नहीं किया।

सरकार की प्रतिक्रिया और जनता की निगाहें

वहीं कर्नाटक सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस मामले का इस्तेमाल आगामी चुनावों में विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने के लिए किया जा सकता है। बीजेपी ने इसे धार्मिक गतिविधियों के मामले में डबल स्टैंडर्ड का उदाहरण बताते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं।

सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी यह मामला तेजी से वायरल हो रहा है। ट्विटर, फेसबुक और X जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। कुछ लोग एयरपोर्ट पर नमाज की अनुमति को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में देख रहे हैं, तो कई लोग इसे सुरक्षा नियमों की अनदेखी मान रहे हैं। इस बीच, सुरक्षा विशेषज्ञ भी चेतावनी दे रहे हैं कि ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह की धार्मिक या राजनीतिक गतिविधि की अनुमति देने से पहले पूरी सुरक्षा जांच अनिवार्य होनी चाहिए।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला केवल धार्मिक या सुरक्षा मुद्दा नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक जिम्मेदारी और सरकारी नीतियों की पारदर्शिता पर भी प्रश्न खड़ा करता है। आने वाले दिनों में एयरपोर्ट प्रशासन और राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली आधिकारिक प्रतिक्रिया इस मामले के आगे के राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव को तय करेगी।

इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि सार्वजनिक जगहों पर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति और सुरक्षा नियमों के पालन का संतुलन बनाए रखना कितना संवेदनशील विषय है। यह मामला कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद पैदा करने वाला नजर आ रहा है, और आगामी दिनों में इसके राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ को लेकर काफी चर्चा होने की संभावना है।

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