Wednesday, November 26, 2025

राम मंदिर के चारों तरफ ‘लौह कवच’… जानें किन फोर्स के हाथ में है सबसे बड़ी जिम्मेदारी

अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर सुरक्षा व्यवस्था इतनी मजबूत कर दी गई है कि कोई भी संदिग्ध गतिविधि कुछ ही क्षणों में कैमरों और स्कैनरों की पकड़ में आ जाती है। मंदिर निर्माण शुरू होते ही यूपी सरकार ने इसकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। मंदिर के भीतर, बाहर और मुख्य परिक्रमा मार्ग में सुरक्षा का तीन-स्तरीय ढांचा तैयार किया गया है। सबसे अधिक जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (SSF) को दी गई है, जो संवेदनशील जगहों की सुरक्षा में विशेषज्ञ मानी जाती है।
SSF के जवानों को NSG द्वारा विशेष कमांडो-स्तर का प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे यह फोर्स किसी भी संभावित खतरे का तुरंत जवाब देने में सक्षम है। सुरक्षा घेरा इतना मजबूत है कि मंदिर परिसर में आने-जाने वाले हर व्यक्ति की पूरी प्रोफ़ाइल, मूवमेंट और गतिविधियां रिकॉर्ड होती रहती हैं।

SSF और CISF का संयुक्त ऑपरेशन: हर कदम पर तैनात अलर्ट सुरक्षाबल

राम मंदिर सुरक्षा में केवल SSF ही नहीं, बल्कि CISF के प्रशिक्षित जवान भी तैनात हैं। देश के प्रमुख एयरपोर्ट, सरकारी प्रतिष्ठानों और संवेदनशील ठिकानों की सुरक्षा संभालने वाली CISF को यहां इसलिए लगाया गया है ताकि भीड़ नियंत्रण, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और आतंक-रोधी तैयारी हर समय सक्रिय रहे।
इन दोनों फोर्स का संयुक्त ऑपरेशन मंदिर को “फुलप्रूफ जोन” बनाता है। सीसीटीवी कैमरे, लेज़र ग्रिड, स्मार्ट फेस रेकग्निशन सिस्टम और ऑन-ग्राउंड पेट्रोलिंग—सभी का काम 24×7 चलता रहता है।
CISF की टीम हर एंट्री पॉइंट पर हाईटेक स्क्रीनिंग करती है, जबकि SSF की स्पेशल यूनिट्स परिसर के अंदर लगातार मूवमेंट पर नजर रखती हैं। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी अज्ञात व्यक्ति या संदिग्ध वस्तु की सूचना सेकंडों में कंट्रोल रूम तक पहुँच जाती है।

NSG की निगरानी: बड़े आयोजनों में ब्लैक कैट कमांडो की तैनाती

राम मंदिर सुरक्षा को और अधिक अभेद्य बनाने के लिए समय-समय पर NSG की टीमें भी अयोध्या पहुंचकर पूरे इलाके का सुरक्षा ऑडिट करती हैं। खासकर रामनवमी, दीपोत्सव, प्राण प्रतिष्ठा वर्षगांठ या किसी विशेष धार्मिक आयोजन के समय NSG कमांडो जमीन पर उतरकर सुरक्षा कमान अपने हाथों में ले लेते हैं।
NSG की विशेष जांच टीम यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी एंगल या एप्रोच रूट सुरक्षा की नजर से छूट न जाए। ड्रोन सर्विलांस, स्नाइपर्स की तैनाती और इंटेलिजेंस समन्वय इन्हीं की निगरानी में किया जाता है।
यूपी पुलिस, CISF और NSG के बीच स्थापित कोऑर्डिनेशन सेंटर लगातार संयुक्त समीक्षा करता है, जिससे किसी भी खतरे का मुकाबला तत्काल किया जा सके। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अयोध्या का यह मॉडल भारत के सबसे उन्नत सुरक्षा ढाँचों में से एक है।

श्रद्धालुओं के लिए सख्त व्यवस्था: एंट्री पर कई स्तर की चेकिंग

अयोध्या पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं को कई स्तर के सुरक्षा जांच पॉइंट्स से गुजरना पड़ता है। हर गेट पर बैगेज स्कैनर, बॉडी स्कैनर, हैंडहेल्ड मेटल डिटेक्टर और क्यूआर आधारित एंट्री सिस्टम मौजूद है।
मंदिर के भीतर एक भी व्यक्ति सुरक्षाबलों की नज़र से दूर नहीं रहता—सीसीटीवी कैमरों का विस्तृत नेटवर्क हर चेहरे को रिकॉर्ड करता है और सॉफ्टवेयर तुरंत संदिग्ध चेहरों को चिन्हित करता है।
मंदिर परिसर में इतना सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल है कि अधिकारियों के अनुसार “बिना नजर में आए कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।”
भीड़ बढ़ने के दौरान अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया जाता है और स्पेशल क्विक रिएक्शन टीमें चौबीसों घंटे एक्टिव रहती हैं।

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