अमेरिका में भारतीय इंजीनियर मोहम्मद निजामुद्दीन की हत्या ने भारतीय समुदाय को हिलाकर रख दिया है। पुलिस ने उसे तब गोली मार दी जब उस पर रूममेट पर चाकू से हमले का आरोप लगा था। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। निजामुद्दीन ने कुछ दिन पहले ही LinkedIn पर पोस्ट कर नस्लीय भेदभाव, जहर मिलाने और कंपनियों की तानाशाही जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने साफ लिखा था, “अब बहुत हो गया, White Supremacy को खत्म होना चाहिए।”
पुलिस एक्शन पर उठे सवाल
निजामुद्दीन हैदराबाद का रहने वाला था और EPAM Systems में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करता था, जो Google को सेवाएं देती है। उसने अपने पोस्ट में कहा था कि कंपनी में नस्लीय भेदभाव बढ़ता जा रहा है और उसके खाने में जहर तक मिलाया गया। अब सवाल यह है कि पुलिस ने बिना पूरी जांच किए सीधे गोली क्यों चलाई? क्या यह मामला मानसिक तनाव, नस्लीय नफरत या फिर किसी बड़ी साजिश का नतीजा है?
भारतीय सरकार की चुप्पी पर नाराजगी
इस घटना के बाद अमेरिका में बसे भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स में गुस्सा है। सोशल मीडिया पर #JusticeForNizamuddin ट्रेंड कर रहा है और लोग भारतीय सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। कई संगठन इसे नस्लीय हिंसा का ज्वलंत उदाहरण बताते हुए अमेरिकी प्रशासन से पारदर्शी जांच की अपील कर रहे हैं।
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