Delhi Red Fort Car Blast: देश की राजधानी दिल्ली में सोमवार शाम हुए लाल किला मेट्रो स्टेशन ब्लास्ट की जांच अब चौंकाने वाले मोड़ पर पहुंच गई है। जांच एजेंसियों ने पता लगाया है कि जिस हुंडई i-20 कार में धमाका हुआ, वह पहले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी तारिक अहमद नामक व्यक्ति के नाम पर थी। बताया जा रहा है कि यह कार पिछले दो साल में चार अलग-अलग लोगों को बेची गई, लेकिन किसी ने उसका रजिस्ट्रेशन अपडेट नहीं कराया। अब एजेंसियां शक के घेरे में आई इस लेन-देन की हर डिटेल खंगाल रही हैं।
ब्लास्ट कार की कहानी – दिल्ली से श्रीनगर, फिर वापस राजधानी तक
जांच में सामने आया है कि यह सफेद रंग की i-20 कार मूल रूप से दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी नसीम खान के नाम पर थी। नसीम ने इसे 2023 में एक सेकंड हैंड डीलर के जरिए जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले तारिक अहमद को बेचा था। तारिक ने कुछ महीनों बाद ही इसे एक अन्य व्यक्ति, शोएब लोन को ट्रांसफर कर दिया। शोएब ने फिर दिल्ली के एक यूज्ड कार डीलर को यह गाड़ी बेच दी।
इस दौरान कार की नंबर प्लेट भी बदली गई और इसका चेसिस नंबर आंशिक रूप से छिपाया गया था। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस गाड़ी का इस्तेमाल पहले से किसी आतंकी नेटवर्क के लिए किया गया था।
NIA और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब इस केस को ‘हाई अलर्ट प्रायोरिटी’ पर रखा है। NIA की एक टीम मंगलवार सुबह पुलवामा रवाना हुई है ताकि तारिक अहमद और उसके संपर्कों की जांच की जा सके।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने कहा, “कार की पूरी ट्रांजैक्शन चेन की जांच हो रही है। शुरुआती सबूतों से संकेत मिलते हैं कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि प्लांड एक्सप्लोजन था।”
एजेंसियों को शक है कि इस कार का इस्तेमाल पहले भी किसी संदिग्ध गतिविधि के लिए किया गया होगा। अब फोन कॉल रिकॉर्ड, पेमेंट ट्रांजैक्शन और सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच चल रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस से भी संपर्क
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दिल्ली पुलिस को बताया कि तारिक अहमद का नाम पहले भी कुछ स्थानीय संदिग्धों के संपर्क में पाया गया था। हालांकि उसके खिलाफ कोई ठोस केस दर्ज नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक, तारिक कुछ महीनों से श्रीनगर में फल मंडी का काम कर रहा था और हाल ही में अचानक लापता हो गया। उसकी अंतिम लोकेशन जम्मू-उधमपुर हाइवे के पास ट्रेस की गई थी।
अब एजेंसियां यह जांच कर रही हैं कि क्या इसी नेटवर्क के जरिए विस्फोटक दिल्ली पहुंचाया गया था। एनआईए की फोरेंसिक रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि धमाके में RDX और अमोनियम नाइट्रेट जैसे हाई-ग्रेड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ है, जो आमतौर पर आतंकी घटनाओं में पाया जाता है।
दिल्ली पुलिस के बम स्क्वॉड ने जांच के दौरान कार के मलबे से चेसिस नंबर बरामद किया। जब इसे RTO डेटाबेस में ट्रेस किया गया तो पाया गया कि कार की नंबर प्लेट किसी और वाहन की थी। यानी यह कार क्लोन प्लेट पर चलाई जा रही थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “धमाके से ठीक एक घंटे पहले यह कार CCTV फुटेज में दिखाई दी थी। दो अज्ञात युवक कार के पास पहुंचे और कुछ मिनटों बाद वहां से तेजी से भाग गए। इसके बाद जोरदार धमाका हुआ।”
जांचकर्ता अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कार में विस्फोटक कैसे रखा गया था — टाइमर से, रिमोट से या किसी सेंसर के जरिए।
एजेंसियों ने बढ़ाई सतर्कता
जांच एजेंसियों का मानना है कि इस ब्लास्ट में इस्तेमाल तकनीक पुलवामा अटैक (2019) में इस्तेमाल विस्फोटक मेकेनिज्म से मिलती-जुलती है। हालांकि अभी तक किसी आतंकी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि इसमें किसी बड़े नेटवर्क की भूमिका हो सकती है।
एक अधिकारी ने कहा, “हमारा फोकस अब इस बात पर है कि क्या यह दिल्ली को अस्थिर करने की नई आतंकी साजिश थी।”
दिल्ली में सुरक्षा कड़ी, सीमाओं पर हाई-अलर्ट जारी
दिल्ली पुलिस ने सभी बार्डर एंट्री पॉइंट्स पर चेकिंग बढ़ा दी है। यूपी, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर भी बम निरोधक दस्ते तैनात कर दिए गए हैं। राजधानी में रातभर 150 से अधिक जगहों पर पेट्रोलिंग चलती रही।
सुरक्षा एजेंसियों को अब आशंका है कि यह एक “टेस्ट रन” ब्लास्ट हो सकता है, जिसके जरिए आतंकियों ने सुरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन किया हो।
NIA ने दिल्ली के दो सेकंड हैंड कार डीलरों और एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से दस्तावेज़ जब्त किए हैं। यह जांच की जा रही है कि किस-किस ने यह कार बेची और खरीदी थी।
फिलहाल कार के सभी पूर्व मालिकों से पूछताछ जारी है और कई लोगों के फोन सीज किए गए हैं। जांच एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि क्या पैसों का ट्रांसफर किसी संदिग्ध अकाउंट से हुआ।






