विवादों में घिरे जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मेरठ में एक जनसभा के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश को “मिनी पाकिस्तान” कहा, जिससे धार्मिक और सामाजिक हलकों में नाराजगी की लहर दौड़ गई। उनके इस बयान को लेकर कई संगठनों ने विरोध जताया है और इसे समाज को बांटने वाला करार दिया है। आम जनता से लेकर बुद्धिजीवियों तक, सभी ने इस टिप्पणी को असंवेदनशील बताते हुए देश की गंगा-जमुनी संस्कृति पर आघात बताया है।
मौलाना इफराहिम हुसैन की तीखी प्रतिक्रिया
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मेरठ के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मौलाना चौधरी इफराहिम हुसैन ने कहा कि भारत एकता और विविधता का प्रतीक है, और इसे पाकिस्तान से तुलना करना अनुचित है। मौलाना ने कहा, “हमारा भारत एक फूलों का गुलदस्ता है, जिसमें हर धर्म की खुशबू है। यहां पाकिस्तान की बात करना एक तरह से इस एकता को तोड़ने की कोशिश है। ये बयान बेबुनियाद और फिजूल है।” उन्होंने सभी धर्मगुरुओं से अपील की कि वे समाज में सौहार्द और शांति बनाए रखने वाले विचार रखें।
सियासी गलियारों में हलचल, सोशल मीडिया पर चर्चा
रामभद्राचार्य के बयान ने राजनीतिक हलकों में भी बहस को जन्म दे दिया है। कई विपक्षी नेताओं ने बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह देश को बांटने वाली मानसिकता को दर्शाता है। वहीं, सत्ताधारी दल ने अब तक इस पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर लोग बंटे हुए नजर आ रहे हैं—कुछ लोग इसे धार्मिक चेतावनी बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे देश की अखंडता पर हमला मान रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और अधिक तूल पकड़ सकता है।
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