साल 1984 के सिख दंगों ने हजारों परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी थी. उस दौर की हिंसा में किसी ने पिता खोया, किसी ने पति, तो किसी का पूरा परिवार उजड़ गया. इन जख्मों के साथ जीते हुए पीड़ित परिवार दशकों से न्याय और सम्मानजनक जीवन की आस लगाए बैठे थे. शुक्रवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 36 सिख दंगा पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपकर उस लंबे इंतजार को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया. यह केवल नौकरी देने की प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि उन परिवारों के दर्द को स्वीकार करने और उन्हें भरोसा लौटाने का प्रयास था, जो वर्षों से अलग-अलग सरकारों के दफ्तरों के चक्कर काटते रहे. मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि यह फैसला नियमों को सरल बनाकर लिया गया है, ताकि वास्तविक रूप से पीड़ित परिवारों को राहत मिल सके.
हर परिवार से एक सदस्य को एमटीएस की नौकरी
दिल्ली सरकार की इस पहल के तहत 1984 सिख दंगा पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को मल्टी टास्किंग स्टाफ (MTS) के पद पर नियुक्त किया गया है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने नियुक्ति पत्र सौंपते हुए कहा कि आज का दिन दिल्ली सरकार के लिए भी भावनात्मक है, क्योंकि सरकार ने उन जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है, जो दशकों से हरे थे. उन्होंने बताया कि नौकरी देने की प्रक्रिया में उम्र और शिक्षा से जुड़ी बाधाओं को हटाया गया है, ताकि तकनीकी नियमों की वजह से कोई भी पीड़ित परिवार वंचित न रह जाए. सरकार का मानना है कि आर्थिक सुरक्षा और स्थिर रोजगार ही उन परिवारों को आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ने का मौका दे सकता है, जिन्होंने लंबे समय तक असुरक्षा और उपेक्षा झेली है.
नियमों का सरलीकरण बना सबसे बड़ा बदलाव
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि पिछली सरकारों के दौरान जटिल नियमों और प्रक्रियाओं के कारण कई पीड़ित परिवार लाभ से वंचित रह गए थे. वर्षों तक ये लोग अपनी पीड़ा लेकर सरकारी दफ्तरों के दरवाजे खटखटाते रहे, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले. मौजूदा सरकार ने इस स्थिति को बदलने का फैसला किया. उम्र सीमा, शैक्षणिक योग्यता और अन्य औपचारिक शर्तों में ढील देकर नियमों को सरल बनाया गया, ताकि वास्तविक पीड़ितों तक सहायता पहुंच सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ कागजी कार्रवाई पूरी करना नहीं, बल्कि उन परिवारों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाना है, जो अब तक खुद को अकेला और उपेक्षित महसूस कर रहे थे.
बाकी परिवारों को भी जल्द मिलेगी राहत
सीएम रेखा गुप्ता ने यह भरोसा भी दिलाया कि यह प्रक्रिया यहीं नहीं रुकेगी. जिन पीड़ित परिवारों की सूची अभी बाकी है, उनके तहत भी जल्द नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह सेवा उन्हें गुरु साहब की कृपा से करने का अवसर मिला है और सरकार इस जिम्मेदारी को पूरी संवेदनशीलता के साथ निभाएगी. मुख्यमंत्री ने माना कि सरकारी नौकरी किसी भी परिवार के खोए हुए लोगों की भरपाई नहीं कर सकती, लेकिन यह उन्हें सम्मान और सुरक्षा के साथ आगे बढ़ने का रास्ता जरूर देती है. इस फैसले को सिख समाज के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने भी सकारात्मक कदम बताया है. वर्षों बाद मिले इस फैसले से यह संदेश गया है कि देर से ही सही, लेकिन न्याय और संवेदना की पहल संभव है.
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