सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमें अपने संविधान पर गर्व, नेपाल-बांग्लादेश के हालात से ली सीख

सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल और बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए भारत के संविधान को बताया लोकतंत्र का सबसे बड़ा रक्षक

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Supreme Court

भारत का सर्वोच्च न्यायालय एक बार फिर लोकतंत्र और संविधान की ताकत पर अपनी अहम राय से सुर्खियों में है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नेपाल में इस हफ्ते हुए हिंसक प्रदर्शनों और पिछले साल बांग्लादेश में हुए विरोध का हवाला देते हुए कहा कि भारत का संविधान देश को स्थिरता और न्याय दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए, क्योंकि यह न केवल जनता के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है।

राष्ट्रपति को मिली बड़ी शक्ति

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि भारतीय संविधान राष्ट्रपति को खास अधिकार देता है। अगर किसी कानून से जुड़ा कोई मुद्दा सार्वजनिक महत्व का हो, तो राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से सीधा सलाह मांग सकते हैं। यह प्रावधान भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को और मजबूत करता है और यह पड़ोसी देशों की तुलना में भारत की कानूनी व्यवस्था को बेहद खास बनाता है। कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और राज्यपालों को राज्यों के विधेयकों पर मंजूरी देने की समय सीमा तय करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हो रही थी।

पड़ोसी देशों के हालात पर तीखी नजर

नेपाल में हाल के दिनों में जिस तरह हालात बिगड़े हैं और बांग्लादेश में पिछले साल हिंसा ने लोकतंत्र की साख पर सवाल खड़े किए थे, कोर्ट ने उसका भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत का संविधान ही है, जो ऐसी स्थितियों से बचाव करता है और सरकार व जनता के बीच संतुलन बनाए रखता है। यही वजह है कि भारत का लोकतंत्र आज भी मजबूती से खड़ा है, जबकि पड़ोसी देशों को राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है।

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