सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, और इसका अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या कहलाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विशेष पूजा, तर्पण और पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि पूर्वजों की कृपा मिलने से परिवार में समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को पड़ रही है।
पवित्र नदियों में तर्पण
इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में तर्पण करना सर्वोत्तम माना गया है। अगर नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर ही तिल और जल से तर्पण करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
भोजन और जल का दान
सर्वपितृ अमावस्या पर ब्राह्मण, गरीब या जरूरतमंद को भोजन और जल का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों को संतोष मिलता है और परिवार में कभी अन्न-धन की कमी नहीं रहती।
कौवों और पवित्र जीवों को अन्न देना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कौवों को अन्न देना पितरों को अर्पण करने के समान है। इसके साथ ही गाय, कुत्ते और चींटियों को भी भोजन देने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
दीपदान और मंत्र जाप
इस दिन शाम को घर में दीपक जलाकर “ॐ पितृदेवताभ्यः नमः” मंत्र का जाप करें। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
दान-पुण्य और सेवा कार्य
सर्वपितृ अमावस्या पर कपड़े, अन्न, गुड़, तिल और धातु का दान करना विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा जरूरतमंदों की सेवा करने से भी पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
(Disclaimer: यहां पर प्राप्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। News India इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
Read more-रामभद्राचार्य के बयान पर अबू आजमी का पलटवार, बोले– ज़ुबान संभालकर बोलें