Friday, December 12, 2025

ऑफिस तनाव से परेशान युवाओं को प्रेमानंद महाराज की सलाह, बताया कैसे बढ़ेगी सहनशीलता

आज के समय में नौकरी के दौरान दबाव, टोकाटाकी और सीनियर की ओर से मिलने वाले अनचाहे व्यवहार से कई युवा परेशान रहते हैं। ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब एक युवती ने आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज से ऑफिस में होने वाली दिक्कतों के बारे में सवाल पूछा। युवती ने बताया कि उसके ऑफिस में सीनियर लगातार उसे परेशान करते हैं, जिससे उसका काम करने का मन नहीं करता। वह इस स्थिति से मानसिक रूप से थक चुकी है और समझ नहीं पा रही कि इस परेशानी का सामना कैसे करे।

युवती की बात सुनकर महाराज ने सबसे पहले उसे शांत रहकर समस्या को समझने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नौकरी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन ऐसे समय में घबराने के बजाय समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए। महाराज के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति गलत है तो उसे अपनी गलती सुधारनी चाहिए और यदि गलत नहीं है, तो उसे बेफिक्र होकर अपना काम करते रहना चाहिए। उनके अनुसार, दूसरों की नकारात्मक बातों में उलझने से इंसान खुद ही कमजोर पड़ जाता है।

महाराज बोले—गलत नहीं हो तो बेपरवाह रहो, उत्साह के साथ काम करो

प्रेमानंद महाराज ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि किसी भी कार्यस्थल पर हर व्यक्ति को कभी न कभी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति जीवन का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि अगर सीनियर या सहकर्मी कुछ कहते हैं और वह बात सही हो, तो व्यक्ति को उसे समझकर खुद को बेहतर बनाना चाहिए। लेकिन यदि आलोचना गलत हो, तो उसे दिल पर लेने की जरूरत नहीं है।

महाराज ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति को और अधिक उत्साह के साथ काम करना चाहिए। काम में लक्ष्य और समर्पण बनाए रखने से मन भटकता नहीं और न ही नकारात्मक माहौल असर डाल पाता है। उन्होंने युवाओं को समझाया कि काम करते समय अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाना सबसे जरूरी है, क्योंकि यही ऊर्जा व्यक्ति के करियर और मनोबल को मजबूत बनाती है।

सहन नहीं होता? महाराज ने दिया नाम-जप का उपाय

जब युवती ने कहा कि “कभी-कभी सहन नहीं होता”, तब प्रेमानंद महाराज ने उसे एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय सुझाया—नाम-जप। महाराज के अनुसार, मन में ईश्वर का नाम जपने से व्यक्ति की सहनशीलता बढ़ती है। यह प्रक्रिया मन को शांत करती है और तनाव से मुक्ति दिलाती है।

उन्होंने समझाया कि जब इंसान का मन स्थिर होता है, तो वह किसी भी चुनौती का सामना धैर्य और विवेक से कर सकता है। ऑफिस की भागदौड़, लक्ष्य पूरा करने का दबाव और सहकर्मियों की अपेक्षाएँ अक्सर दिमाग पर बोझ डालती हैं। ऐसे में नियमित रूप से नाम-जप करने से न केवल तनाव कम होता है, बल्कि इंसान का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

महाराज का कहना है कि आध्यात्मिक अभ्यास इंसान को भीतर से मजबूत बनाता है, जिससे वह हर तरह के माहौल में सहज रूप से काम कर सकता है।

कब तक सहन करें?—महाराज जी ने दिया जवाब

युवती ने अंतिम सवाल किया कि आखिर उसे कब तक यह सब सहन करना पड़ेगा? इस पर प्रेमानंद महाराज ने जो उत्तर दिया, उसने आसपास बैठे सभी लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। महाराज ने कहा— “सहनशीलता जीवन भर की साधना है। जो सहन कर गया वही महात्मा है, और जो सहन नहीं कर सका, वह सांसारिक ही रह जाता है।”

उनके अनुसार, जीवन में हर जगह चुनौतियाँ मिलेंगी—घर में, समाज में और दफ्तर में भी। इन चुनौतियों को सहन करते हुए आगे बढ़ना ही मनुष्य का असली पुरुषार्थ है। महाराज ने कहा कि कठिन परिस्थितियाँ इंसान को मजबूत बनाती हैं। जो व्यक्ति सहनशील होता है, वही बड़े निर्णय ले पाता है और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि जीवन में धैर्य, संयम और सकारात्मक सोच ही सफलता के असली स्तंभ हैं। इन गुणों से व्यक्ति हर परिस्थिति का मुकाबला कर सकता है, चाहे वह ऑफिस का तनाव हो या निजी जीवन की परेशानियाँ।

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