21 सितंबर 2025 की रात भारत समेत कई देशों में लगने जा रहा सूर्य ग्रहण इस बार एक विशेष संयोग लेकर आ रहा है। शास्त्रों के अनुसार ठीक इसके अगले दिन 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी। जहां ग्रहण को हमेशा से विघ्न और नकारात्मक ऊर्जाओं का संकेत माना गया है, वहीं नवरात्रि शक्ति जागरण और देवी उपासना का पर्व है। ऐसे में ग्रहण के तुरंत बाद नवरात्रि का आरंभ होना साधारण खगोलीय घटना नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है।
ग्रहण और नवरात्रि का अद्भुत मेल
धर्मग्रंथों में ग्रहणकाल को असुर शक्तियों का प्रभाव बताया गया है। इस समय सूर्य पर छाया पड़ना सत्ता, समाज और व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल का संकेत देता है। विवाह, यात्रा या नए कार्य ग्रहणकाल में वर्जित हैं। वहीं भविष्य पुराण और दुर्गा सप्तशती बताते हैं कि ग्रहण के बाद की गई पूजा और साधना से दोष शांत होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इस बार की नवरात्रि को खास माना जा रहा है, क्योंकि यह सीधे ग्रहण के बाद शुरू होगी, मानो देवी उपासना से ही हर संकट का समाधान संभव है।
राजनीति, समाज और व्यक्तिगत जीवन पर असर
ज्योतिष के अनुसार सूर्य सत्ता और नेतृत्व का प्रतीक है, उस पर ग्रहण का साया पड़ना राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक तनाव का संकेत देता है। समाज के स्तर पर लोग मानसिक बेचैनी और असुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं। व्यक्तिगत जीवन में यह संयोग आत्मनिरीक्षण और साधना का समय है। स्वास्थ्य के लिहाज से नेत्र और हृदय रोगियों को सावधानी बरतनी चाहिए, वहीं करियर में जल्दबाजी से लिए फैसले हानिकारक हो सकते हैं। शास्त्र सुझाव देते हैं कि ग्रहणकाल में मंत्रजप करें, स्नान कर दान दें और नवरात्रि में देवी उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाएं।
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