जीवन के दूर होंगे सभी दुख,विनायक चतुर्थी पर कर ले ये काम

विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आपके घर में भंडार भर सकते हैं। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि विनायक चतुर्थी पर कौन ऐसे काम है जिन्हें करने से हमारे जीवन के सभी दुख दूर हो जाएंगे।

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Vinayak Chaturthi Upay

Vinayak Chaturthi Upay: हिंदू धर्म में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि बिना गणेश जी के पूजा करने से कोई भी कार्य संपन्न नहीं होता है। जेष्ठ के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आपके घर में भंडार भर सकते हैं। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि विनायक चतुर्थी पर कौन ऐसे काम है जिन्हें करने से हमारे जीवन के सभी दुख दूर हो जाएंगे।

कब है विनायक चतुर्थी

आपको बता दे विनायक चतुर्थी ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 जून की दोपहर 3:44 पर होने जा रही है। दीपिका समापन अगले दिन 10 जून दोपहर 4:14 पर होगा। इस हिसाब से 10 जून को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है और लोग पीले वस्त्र पहनते हैं।

गणेश चतुर्थी पर जरूर करें ये उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करना चाहिए। घर की साफ सफाई करनी चाहिए। लाल कपड़ा बेचकर और गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करने के बाद उस धूमधाम से पूजा करने के लिए भेजा जाता है। विनायक चतुर्थी पर एक ऐसा काम है जिसे करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम्
येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि,

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते
विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम्,

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः
साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात्,

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता
सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते,

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक
तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि,

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः
एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम्,

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम्
क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः,

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्

(Disclaimer: यहां पर प्राप्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। News India इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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