Saturday, December 27, 2025

कार खड़ी की… और कुछ दिन बाद गायब! GPS से ट्रैक कर नकली चाबी से उड़ाते थे गाड़ियां, 300 कैमरों ने खोल दी दिल्ली के ‘साइलेंट चोरों’ की पोल

दिल्ली पुलिस ने कार चोरी के एक ऐसे शातिर और हाईटेक गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने राजधानी में वाहन मालिकों की नींद उड़ा रखी थी। यह गिरोह न तो कार का शीशा तोड़ता था, न ही अलार्म बजने देता था और न ही किसी तरह की तोड़फोड़ करता था। चोरी का तरीका इतना साइलेंट और प्लानिंग से भरा था कि कार मालिक को कई दिनों तक यह भी शक नहीं होता था कि उसकी गाड़ी पर पहले से नजर रखी जा चुकी है। गिरोह के सदस्य पहले भीड़-भाड़ वाले इलाकों, मॉल, ऑफिस पार्किंग और रिहायशी कॉलोनियों में खड़ी महंगी गाड़ियों को टारगेट करते थे। फिर मौका देखकर कार के नीचे या बंपर के पास बेहद छोटे साइज का GPS ट्रैकर चुपके से फिट कर देते थे। इसके बाद वे आराम से मालिक की दिनचर्या, कार की लोकेशन और पार्किंग पैटर्न पर नजर रखते थे। सही समय आने पर नकली चाबी की मदद से कार को ऐसे निकाल ले जाते थे जैसे वह उनकी अपनी हो।

GPS ट्रैकर और नकली चाबी से चोरी होती थीं गाड़ियां

पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करता था। GPS ट्रैकर की मदद से उन्हें हर वक्त पता रहता था कि कार कहां है, कब अकेली है और कितनी देर तक बिना निगरानी खड़ी रहती है। जैसे ही कार किसी सुनसान जगह या रात के समय घर के बाहर खड़ी होती, गिरोह सक्रिय हो जाता। खास बात यह थी कि ये लोग बाजार से मिलने वाली नकली चाबियों को कार के लॉक सिस्टम के हिसाब से पहले ही तैयार कर लेते थे। इससे कार का सेंट्रल लॉक बिना किसी शोर के खुल जाता था। न तो अलार्म बजता था और न ही आसपास के लोगों को किसी तरह का शक होता था। चोरी के बाद कार को तुरंत दिल्ली से बाहर ले जाकर या तो काट दिया जाता था या फिर फर्जी नंबर प्लेट लगाकर दूसरे राज्यों में बेच दिया जाता था। पुलिस के अनुसार, कई चोरी की गाड़ियां NCR और पड़ोसी राज्यों में पहले ही खपाई जा चुकी थीं।

300 CCTV कैमरों की फुटेज से खुला राज

इस पूरे मामले का खुलासा करना दिल्ली पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती था। शुरुआत में कार चोरी की शिकायतें तो आ रही थीं, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिल पा रहा था। इसके बाद पुलिस ने एक विशेष टीम बनाई और इलाके के करीब 300 CCTV कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की। दिन-रात की मेहनत और बारीकी से जांच के बाद पुलिस को कुछ संदिग्ध चेहरे बार-बार अलग-अलग इलाकों में घूमते नजर आए। फुटेज में दिखा कि ये लोग पहले पार्किंग में गाड़ियों का निरीक्षण करते थे और फिर कुछ सेकेंड के लिए कार के नीचे झुकते थे। यहीं से पुलिस को GPS ट्रैकर वाली थ्योरी पर शक हुआ। टेक्निकल सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पुलिस ने आखिरकार गिरोह के सदस्यों को दबोच लिया। पूछताछ में आरोपियों ने पूरे नेटवर्क, चोरी के तरीके और अब तक चुराई गई गाड़ियों की जानकारी भी दी।

पुलिस की चेतावनी

दिल्ली पुलिस ने इस गिरोह की गिरफ्तारी के बाद आम नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। पुलिस का कहना है कि अब कार चोरी सिर्फ ताले या अलार्म तोड़ने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अपराधी तकनीक का सहारा ले रहे हैं। वाहन मालिकों को चाहिए कि वे समय-समय पर अपनी कार के नीचे, बंपर और आसपास किसी संदिग्ध डिवाइस की जांच करें। अगर कार अचानक किसी अनजान लोकेशन पर ट्रैक होती दिखे या मोबाइल ऐप में अजीब मूवमेंट नजर आए, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। इसके अलावा सुरक्षित पार्किंग, अतिरिक्त सुरक्षा लॉक और भरोसेमंद GPS सिस्टम का इस्तेमाल करने की सलाह भी दी गई है। पुलिस का दावा है कि आने वाले समय में ऐसे गिरोहों पर और सख्ती से नजर रखी जाएगी ताकि राजधानी में कार चोरी की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके।

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