हरियाणा के रोहतक में जन्मे मेजर मोहित शर्मा ने बचपन से ही देश की सेवा करने का सपना देखा। उनका यह सपना नेशनल डिफेंस अकादमी और इंडियन मिलिट्री अकादमी में जाकर पूरा हुआ। वहां उन्होंने कठिन प्रशिक्षण लिया और 1 पैरा स्पेशल फोर्स में शामिल हो गए। यह यूनिट सबसे खतरनाक और गुप्त ऑपरेशंस के लिए जानी जाती है। मेजर शर्मा जल्द ही अपनी बहादुरी, काबिलियत और समर्पण के कारण यूनिट के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में शामिल हो गए।
2004 का अंडरकवर मिशन
मेजर मोहित शर्मा का सबसे यादगार मिशन 2004 में श्रीनगर के पास शोपियां में हुआ। उन्होंने अपने मिशन के लिए एक आतंकवादी की पहचान इफ्तिखार भट्ट के रूप में अपनाई और अंडरकवर ऑपरेशन शुरू किया। उन्होंने लंबे बाल, घनी दाढ़ी और बदलती आवाज के साथ आतंकियों के बीच घुल-मिल गए। इस दौरान उन्होंने दो हफ्ते तक हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के बीच रहकर उनकी गतिविधियों की पूरी जानकारी इकट्ठा की। उनके इस साहसिक कदम ने सेना को आतंकवादी नेटवर्क को समझने और उन्हें निशाना बनाने में मदद की।
आतंकियों के बीच खुल गई असली पहचान
दो हफ्ते तक आतंकियों के बीच रहने के बाद मेजर शर्मा की असली पहचान सामने आ गई। चारों तरफ से घिरे होने के बावजूद उन्होंने आतंकवादियों का साहसपूर्वक मुकाबला किया। इस मुठभेड़ में उन्होंने दो टॉप आतंकवादियों, अबू तोरारा और अबू सब्जार को मार गिराया। उनका यह कार्य न सिर्फ बहादुरी का उदाहरण था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की ताकत को भी दिखाता है।
मिशन में हुए शहीद
मार्च 2009 में मेजर मोहित शर्मा ने कुपवाड़ा के घने जंगलों में एक और महत्वपूर्ण ऑपरेशन का नेतृत्व किया। इस दौरान मुठभेड़ में उन्हें कई गोलियां लगीं। बावजूद इसके उन्होंने अपनी टीम को लीड करना जारी रखा और चार आतंकवादियों को खत्म किया। दुर्भाग्यवश, इस ऑपरेशन में उनकी चोटें जानलेवा साबित हुईं और भारत ने अपने एक बहादुर योद्धा को खो दिया। उनके साहस और समर्पण की कहानी आज भी सभी सैनिकों और देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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