दिल्लीवासियों के लिए अब सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। राजधानी में हाल ही में AQI 480 के पार पहुँच गया है, जो कि बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार प्रदूषित हवा में रहने से सांस लेने की क्षमता घटती है, फेफड़ों में सूजन बढ़ती है और दिल पर भी गंभीर असर पड़ता है।
विशेषज्ञों ने चेताया है कि शहरी इलाकों में बच्चे, बुजुर्ग और सांस की बीमारी से पीड़ित लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। लगातार धुंध और स्मॉग के कारण लोगों में सिर दर्द, आँखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कारों, फैक्ट्रियों और ठोस ईंधन के धुएँ ने राजधानी की हवा को जहरीला बना दिया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो यह स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है।
डॉक्टरों ने दी डराने वाली चेतावनी
डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली की हवा में लंबे समय तक रहने से यह केवल अस्थमा या एलर्जी का कारण नहीं बनेगी बल्कि क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों की क्षमता घटने और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियाँ पैदा कर सकती है। एक वरिष्ठ फेफड़ा विशेषज्ञ ने कहा“यह धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचा रही है, इसे मैं ‘धीमी मौत’ कहूँगा। लोग सोचते हैं कि धुंध में थोड़ी परेशानी हो रही है, पर असल में यह उनके फेफड़ों और दिल को सीधे प्रभावित कर रही है।”
डॉक्टरों ने आम जनता से N95 मास्क पहनने, लंबी दूरी की दौड़ या आउटडोर एक्सरसाइज से बचने और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
सरकारी अधिकारी भी प्रदूषण नियंत्रण के उपायों में जुटे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केवल अलार्म और चेतावनी पर्याप्त नहीं हैं – जनता को भी सतर्क और सुरक्षित रहना जरूरी है।
समाधान और सावधानियाँ
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अस्थायी स्कूल बंद, वाहनों की सीमित संख्या और निर्माण कार्यों पर रोक जैसी आपात कदम उठाए हैं। इसके साथ ही लोग घरों में एयर प्यूरीफायर और मास्क का इस्तेमाल कर अपनी सुरक्षा बढ़ा सकते हैं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि लंबी अवधि में प्रदूषण नियंत्रण नीति और हरित क्षेत्रों का विस्तार ही वास्तविक समाधान है। नागरिकों को सलाह दी जा रही है कि वे ज्यादा समय बाहर न बिताएँ और यदि सांस लेने में कठिनाई हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इस प्रदूषण संकट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्लीवासियों के लिए हवा अब सिर्फ़ ऑक्सीजन का स्रोत नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
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