भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में इस बार बेहद कड़ी टक्कर देखने को मिली, लेकिन आख़िरकार जीत का सेहरा एनडीए के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के सिर बंधा। देशभर की निगाहें इस चुनाव पर टिकी थीं क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवार को जिताने में पूरी ताकत झोंक चुके थे। कुल 788 वोटों में से 781 लोगों ने मतदान किया, जो 98.2% की रिकॉर्ड भागीदारी रही। इनमें से 767 वोट डाले गए और 752 वोट वैध घोषित हुए।
152 वोटों से मिली जीत, विपक्ष को बड़ा झटका
सी.पी. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस तरह राधाकृष्णन ने 152 वोटों के भारी अंतर से यह चुनाव अपने नाम किया। विपक्ष को उम्मीद थी कि वह सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती देगा, लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया कि एनडीए की पकड़ संसद और राज्यों में अभी भी मज़बूत है।
राधाकृष्णन की जीत से बढ़ी सरकार की ताकत
राधाकृष्णन की इस जीत को केंद्र सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक सफलता माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह जीत न केवल एनडीए की ताकत को और मज़बूत करेगी बल्कि आगामी चुनावों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। वहीं, सुदर्शन रेड्डी की हार ने विपक्ष की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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